पश्चिम एशिया का देश सीरिया में तख्ता पलट हो गया है। बीस वर्षों से सीरिया की गद्दी पर आसीन बशर-अल-असद को देश छोड़कर भागने पर विवश होना पड़ा है। असद अब परिवार समेत रूस में शरण लिये हुए हैं। इसके साथ ही सीरिया में विद्रोही ग्रुप हयात तहरीर-अल-शाम (एचटीएस) का कब्जा हो गया है। पिछले 13 दिनों में ही आतंकी समूह एचटीएस ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है। सीरिया में वर्ष 2011 से सरकार के खिलाफ आंदोलन चल रहा था। शुरू में लोकतंत्र समर्थकों ने आंदोलन की शुरुआत की थी, किंतु बाद में आतंकी संगठनों ने इस आंदोलन को हाइजैक कर लिया। पहले एचटीएस का अलकायदा के साथ बेहतर संबंध था, किंतु बाद में दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन गए। पिछले शनिवार की रात ही विद्रोही गुटों ने दमिश्क को घेरना शुरू किया तथा अगले दिन दोपहर तक राजधानी को अपने कब्जे में ले लिया। वर्ष 2011 से चल रहे आंदोलन में अब तक पांच लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है तथा 68 लाख लोग बेघर हुए हैं। लगभग ढाई करोड़ की आबादी वाला सीरिया सुन्नी बहुल देश है, जबकि वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति असद शिया समुदाय से आते हैं। वहां की जनता लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव करवाने की मांग कर रही थी। असद और उनके पिता का 50 वर्षों से ज्यादा समय से सीरिया पर शासन था। सीरिया से असद सरकार का पतन रूस तथा ईरान के लिए बड़ा झटका है। पश्चिम एशिया में अमरीका तथा पश्चिमी देशों को नियंत्रित करने के लिए सीरिया रूस का एक बड़ा मोहरा था। यही कारण है कि बड़े आंदोलन के बावजूद सीरिया में असद का शासन बरकरार था। अमरीका अपने समर्थक अरब देशों की मदद से सीरिया के खिलाफ मोर्चा खोले हुए था। विद्रोही संगठन एचटीएस को तुर्किए का भी समर्थन प्राप्त है। सीरिया की भौगोलिक स्थिति उसे खास बना रही है। तुॢकए, इराक, लेबनान एवं इजरायल के बीच स्थित सीरिया रणनीतिक एवं सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। सीरिया में फतह के बाद पश्चिम एशिया में अमरीका एवं इजरायल की स्थिति मजबूत हो गई है। असद के पलायन के बाद इजरायल ने लगातार बमबारी कर सीरिया में स्थित उसके हथियारों एवं रक्षा उपकरणों को नष्ट किया है, ताकि यह हथियार विद्रोहियों के हाथ नहीं लग सके। असद सरकार के पतन के बाद ईरान के साथ-साथ हिजबुल्ला की स्थिति भी कमजोर हो गई है। ईरान सीरिया होकर हिजबुल्ला को हथियार एवं दूसरे सामानों की आपूॢत करता था। विद्रोहियों के हमले के बाद सीरिया की सेना ने जिस तरह मैदान छोड़ा उसके बाद असद को देश छोडऩे के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। सीरिया के कई सैनिकों ने अपना वेश बदल कर पड़ोसी देशों में शरण ली। भारत का सीरिया की बिगड़ती स्थिति पर ङ्क्षचतित होना स्वाभाविक है। भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी कर भारतीयों                                                      को सीरिया की यात्रा से बचने की सलाह दी है। सीरिया स्थित भारतीय दूतावास भारतीय लोगों की सुरक्षा के लिए उनके संपर्क में है। इसके लिए हेल्प लाइन और ई-मेल आईडी भी जारी किया गया है। कुल मिलाकर सीरिया की स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। अगला कुछ दिन काफी निर्णायक होने वाला है।