होजाई के लंका के फुलतोली आदर्श अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सेउज कुमार सेनापति पर हमले की घटना की सनसनी खत्म होने से पहले इस बार जूनियर डॉक्टरों के एक दल के हमले का शिकार रोगी के परिजन को होना पड़ा। यह घटना सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसएमसीएच) की है। अस्पताल में 56 दिन के एक नवजात को ऑक्सीजन देते रहने के दौरान अस्पताल से निकालकर बाहर कर देने के साथ ही नवजात के माता-पिता को बुरी तरह से पिटार्ई की गई। अस्पताल के 25 सदस्यीय जूनियर डॉक्टरों के एक दल ने नवजात के माता-पिता पर सामूहिक रूप से हमला कर दिया। इस सिलसिले में नवजात के पिता ने थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है। दुर्भाग्य है कि जूनियर डॉक्टरों की टीम की ओर से अस्पताल से जबरन बाहर कर देने वाले चिकित्साधीन नवजात की बीच सड़क पर ही दुखद मौत हो गई। नवजात के पिता के आरोप के मुताबिक कछार जिले के सोनाबारीघाट के शरीकुद्दीन लस्कर व मासुमा बेगम लस्कर ने तीन दिन पहले अपने नवजात (56 दिन) को सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया था। नवजात हृदय रोग से पीड़ित था। उसकी ऑक्सीजन सॉपर्ट पर चिकित्सा चल रही थी। नवजात की मां के मुताबिक शनिवार की रात अचानक ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो गई। इसकी जानकारी चिकित्सकों व नर्सो को दी गई, लेकिन उनकी ओर से इसके लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। परिणामतः ऑक्सीजन के अभाव में नवजात छटपटाने लगा। मासूम नवजात की हालत देखकर पिता ने चिकित्सक के कक्ष में जाकर डॉक्टरों को ऑक्सीजन की आपूर्ति को ठीक करने के लिए कार्रवाई करने का कातर आह्वान किया, लेकिन ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने नवजात के पिता को गाली दी और कुछ ही पल में अन्य जूनियर डॉक्टर मौके पर पहुंच गए। इसी बीच एक स्वास्थ्यकर्मी ने शिशु के पिता के हाथ में एक डिचार्ज फॉम देकर उस पर हस्ताक्षर कर शिशु को अस्पताल से ले जाने को कहा, लेकिन ऑक्सीजन ले रहे एक शिशु को कैसे रात को तत्काल अन्य अस्पताल में ले जाने संभव है, इस बात को पिता ने जब कहा तो उसपर जूनियर डॉक्टरों की टीम टूट पड़ी और उसकी बुरी तरह से पिटाई कर दी। इसे देखकर शिशु की मां ने अपने पति को बचाने की कोशिश की और जूनियर डॉक्टरों ने शिशु की मां को भी बुरी तरह से पीटा। आखिरकार पिता-माता को मजबूरन अपने नवजात शिशु को अस्पताल से ले जाना पड़ा, जिसकी बीच सड़क पर मौत हो गई। इस सिलसिले में अस्पताल के प्राचार्य डॉ.बाबुल बेजबरुवा ने मीडिया को घटना की जांच किए जाने की बात कही। वहीं, अस्पताल प्राधिकरण ने दावा किया कि शिशु के अभिभावक ने अपनी इच्छा से शिशु का डिचार्ज करवाया, लेकिन डिचार्ज पत्र परं अभिभावक का कोई हस्ताक्षर नहीं है। जिस व्यक्ति ने डिचार्ज पत्र भरा था, उसके हस्ताक्षर से पत्र के अभिभावक के हस्ताक्षर की जगह लीली बेगम लिखा हुआ है, लेकिन शिशु की मां का नाम मासुमा बेगम है। इस सिलसिले में पुलिस ने अतिरिक्क पुलिस अधीक्षक स्तर पर जांच शुरू कर दी है।