ट्विटर ने शनिवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया और सोशल मीडिया पर संघ के शुभचिंतकों के रोष व्यक्त करने के बाद इसे बहाल कर दिया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की दिल्ली इकाई के पदाधिकारी राजीव तुली ने कड़ी आपत्ति जताते हुए बताया कि यह ट्विटर द्वारा साफ तौर पर भेदभाव और प्रौद्योगिकी सामंतवाद का स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने ऐसे कई ट्विटर अकाउंट का हवाला दिया जो निष्कि्रय है लेकिन उनका ब्लू टिक बरकरार है। संघ के सूत्रों ने बताया कि सत्तारूढ़ भाजपा के मार्गदर्शक आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों से जुड़े पांच अकाउंट से सत्यापन बैज ब्लू टिक को हटा लिया गया। बाद में भागवत, सुरेश सोनी, अरुण कुमार, सुरेश जोशी और कृष्ण गोपाल के अकाउंट के ब्लू टिक को बहाल कर दिया गया। तुली ने कहा कि काफी मशक्कत के बाद इसे बहाल कर दिया गया। इससे पहले दिन में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के निजी अकाउंट के ब्लू टिक को हटा दिया गया और फिर उसे बहाल कर दिया गया। इस मसले पर ट्विटर ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि ये अकाउंट  काफी समय से एक्टिव नहीं थे। इसलिए वेरिफिकेशन पॉलिसी के तहत बिना किसी सूचना के अनवेरिफाई करते हुए इनसे ब्लू बैज हटा दिया गया, यहीं से विवाद शुरू हुआ, क्योंकि दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, कांग्रेस नेता अहमद पटेल, एक्टर इरफान खान समेत कई लोगों के ट्विटर अकाउंट अब भी वेरिफाइड हैं और ब्लू टिक के साथ शो हो रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के ट्वविटर अकाउंट पर शनिवार शाम करीब 5 बजे ब्लू टिक दोबारा दिखने लगा। दसरी ओर प्रणब दा के ट्विटर अकाउंट से आखिरी ट्वीट उनकी मृत्यु से पहले अगस्त 2020 में किया गया था। वहीं, अहमद पटेल का अकाउंट अक्टूबर 2020 और इरफान का अकाउंट मई 2020 से एक्टिव नहीं है। इनका अकाउंट्स मेमोरियल अकाउंट्स के तौर पर भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। यानी इनकी मृत्यु के बाद इन अकाउंट्स को उनके परिवार के सदस्य विरासत के तौर पर भी इस्तेमाल नहीं कर रहे। भागवत के अलावा संघ के अरुण कुमार, भैयाजी जोशी और सुरेश सोनी जैसे बड़े नेताओं के ट्विटर हैंडल से ब्लू टिक हटा दिए गए थे। सुरेश सोनी का अकाउंट अब भी अनवेरिफाइड शो कर रहा है।टीवी एंकर रोहित सरदाना के सोशल अकाउंट उनका परिवार संभाल रहा है। इन बारीकियों को समझने वाली उनकी पत्नी प्रमिला ने तुरंत पति की वर्चुअल विरासत को संभाल लिया। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का ट्विटर हैंडल बेटी बांसुरी संभालती हैं और इसे लगातार अपडेट भी करती हैं। इस पर साफ इंगित है कि यह मेमोरियल अकाउंट है। खास बात यह है कि ब्लू टिक हटाने और वापस आने तक हुए इस विवाद के बाद इन हस्तियों को फॉलो करने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होता दिखाई दिया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत के फॉलोअर्स की संख्या की बात करें तो ब्लू टिक हटाए जाने पर यह 207.9के थे, जबकि ब्लू टिक वापस आने तक यह बढ़ा 214.3के पर पहुंच गई। इस तरह देखें तो भागवत को फॉलो करने वालों की संख्या में करीब छह लाख 40 हजार का इजाफा हुआ। कुछ ऐसा ही वेंकैया नायडू के मामले में भी देखने को मिला। ब्लू टिक हटने पर नायडू के 1.2 मिलियन फॉलोअर थे। वहीं ब्लू टिक वापस आने पर यह संख्या बढ़कर 1.3 मिलियन हो गई। ट्विटर से ब्लू टिक हटाने का मतलब होता है कि कंपनी ने उस अकाउंट को अनवेरिफाई कर दिया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत आरएसएस के कई नेताओं के ट्विटर हैंडल से ब्लू टिक को हटा दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि मोहन भागवत ने अपने ट्विटर हैंडल से अभी तक एक भी ट्वीट नहीं किया है, इसलिए उनके हैंडल से ब्लू टिक हटा दिया गया है। बता दें कि मोहन भागवत ने अपना ट्विटर अकाउंट साल 2019 में बनाया था और अभी तक उनके निजी ट्विटर हैंडल से कोई ट्वीट नहीं किया गया है। मोहन भागवत से पहले आरएसएस नेता सुरेश सोनी, सुरेश जोशी और अरुण कुमार के निजी ट्विटर हैंडल से ब्लू टिक हटा दिया था।  दरअसल, ट्विटर के नियमों के मुताबिक, अकाउंट को सक्रिय रखने के लिए हर छह महीने में लॉग इन करना जरूरी है और प्रोफाइल को अपडेट करना जरूरी है। वहीं वेंकैया नायडू के ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हटाने के बाद ट्विटर की ओर से यही सफाई दी गई थी कि वेंकैया नायडू के ट्विटर हैंडल को पिछले छह महीने में लॉग इन नहीं किया गया था। बता दें कि  ट्विटर भारत सरकार की सोशल मीडिया की नई गाइडलाइन मानने को तैयार हो गया है। ट्विटर के मुताबिक ब्लू वेरिफाइड बैज (ब्लू टिक) का मतलब होता है कि अकाउंट जनहित से जुड़ा और वास्तविक है। इस टिक को हासिल करने के लिए ट्विटर अकाउंट का सक्रिय रहना बहुत जरूरी है। फिलहाल ट्विटर सरकारी कंपनियों, ब्रांड और नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन, समाचार संगठन और पत्रकार, मनोरंजन, स्पोर्ट्स एंड ई-स्पोर्ट्स, कार्यकर्ता, ऑर्गेनाइजर्स और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों के खास अकाउंट्स को वेरिफाई करता है। ट्विटर की शर्तों के मुताबिक, यदि कोई अपने हैंडल का नाम बदलता है या फिर यूजर अपने अकाउंट को उस तरह से इस्तेमाल नहीं करता, जिसके आधार पर वेरिफाई किया गया था। इस स्थिति में ब्लू टिक यानी ब्लू वेरिफाइड बैज बिना किसी सूचना के हटाया जा सकता है। दूसरी ओर सरकार ने शनिवार को ट्विटर को नोटिस जारी कर उसे तत्काल नए आईटी नियमों के अनुपालन के लिए ‘एक आखिरी मौका’ दिया है। सरकार की ओर से आगाह किया गया है कि यदि ट्विटर इन नियमों का अनुपालन करने में विफल रहती है, तो वह आईटी कानून के तहत दायित्व से प्राप्त छूट को गंवा देगी। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मेइटी) ने कहा कि ट्विटर द्वारा इन नियमों के अनुपालन से इनकार से पता चलता है कि माइक्रोब्लॉगिंग साइट में प्रतिबद्धता की कमी है और वह भारत के लोगों को अपने मंच पर सुरक्षित अनुभव प्रदान करने का प्रयास नहीं करना चाहती। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा  कि भारत में करीब एक दशक से अधिक से परिचालन के बावजूद यह विश्वास करना मुश्किल है कि ट्विटर एक ऐसा तंत्र विकसित करने से कतराती रही है, जिससे भारत के लोगों को उसके मंच पर अपने मुद्दों के समयबद्ध और पारदर्शी व उचित प्रक्रिया से समाधान में मदद मिलती।’’ मंत्रालय ने कहा कि ये नियम हालांकि 26 मई, 2021 से प्रभावी हैं, लेकिन सद्भावना के तहत ट्विटर इंक को एक आखिरी नोटिस के जरिये नियमों के अनुपालन का अवसर दिया जाता है।