मेघालय के अवैध कोयला खदान में फंसे मजदूरों का पांचवें दिन भी पता नहीं चल पाया, वहीं एनडीआरएफ प्रथम बटालियन की दो टीम बचाव अभियान में उतर गई। हालांकि उन्हें बरसात की वजह से बचाव कार्य में अड़चनें आ रही हैं। मेघालय में अवैध कोयला खनन कारोबार आए दिन श्रमिकों की जान पर बन जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 500 फीट गहरी अवैध कोयला खदान में पांच श्रमिक फंसे हुए हैं। ये सभी श्रमिक असम के रहने वाले हैं। यह हादसा गत 30 मई को सामने आया था, वहीं दूसरी ओर पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा कि यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार जो लोग वहां फंसे हुए थे, वे कोयला खोदने की योजना बना रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने एनआरडीएफ से बात की है और गृहमंत्री व्यक्तिगत रूप से बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्वी जयंतिया हिल्स के उम्मलेंग में एक कोयला खदान में 5 मजदूर 5 दिनों से अधिक समय से फंसे हुए हैं, जबकि बचाव कार्य अभी भी जारी है। खराब मौसम के कारण बचाव अभियान प्रभावित हुआ है। अवैध कोयला खनन के आरोप पर सरकार ने कहा है कि वे सभी अवैध गतिविधियों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन ये क्षेत्र जहां अवैध कोयला खनन होता है, बहुत ही दुर्गम और अंदुरुनी जगहों पर स्थित हैं, जिससे पुलिस के लिए ऐसी गतिविधियों को रोकना मुश्किल हो जाता है। दूसरी ओर पुलिस ने मेघालय के पूर्वी जयंतिया पहाड़ी जिले में अवैध कोयले खदान के मालिक को गिरफ्तार किया है, जिसमें चार दिन से पांच खदान श्रमिकों के फंसे हुए हैं। गुरुवार को एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि शाइनिंग लैंगस्टैंग के मालिक को सुतंगा से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह गांव खदान के पास है। ‘सरदार’ (खदान प्रबंधक) जो घटनास्थल से भाग गया और घटना के बारे में खुलासा करने के खिलाफ स्थानीय लोगों को धमकाया था, उसे पुलिस अभी तक ट्रेस नहीं कर पाई है। खदान में फंसे हुए लोगों की तलाश में कोई प्रगति नहीं हो रही है। उल्लेखनीय है कि एक डायनामाइट विस्फोट के बाद यह अवैध कोयला खदान पानी से भर गई थी।