सिलचरः असम विश्वविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा का मुख्य समारोह आयोजित हुआ। समारोह का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। साथ ही प्रदर्शन कला विभाग के छात्रों ने राष्ट्र गीत प्रस्तुत किया। इसके बाद कुलपति ने कहा कि आज  राजभाषा हिंदी संपर्क भाषा के रूप में एक प्रांत को दूसरे प्रांत से, एक संस्कृति को दूसरी संस्कृति से और एक समाज को दूसरे समाज से जोड़ने में एक सक्षम है तथा राजभाषा के रूप में हिंदी कार्यालयों में अपनी निरंतर गति से विकास कर रही है। जब विदेशों में हम जाते हैं तो राजभाषा से ही हमें पहचान मिलती है। वहीं डॉ अजीता तिवारी, असिस्टेंट प्रोफेसर, कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने कहा कि पूर्वोत्तर में हिंदी के अनुकूल माहौल बनाने में प्रौद्योगिकी का बहुत बड़ा हाथ है। आज हम सभी के हाथों में मोबाइल सेट है। इसके माध्यम से हम किसी भी भाषा में संवाद कर सकते हैं और हिंदी के विकास में इंटरनेट और मोबाइल का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इसके बिना जीवन अधूरा लगता है। वहीं डॉ. जयीता देव, असिस्टेंट प्रोफेसर, वाणिज्य प्रबंधन विभाग ने कहा कि व्यवसाय में भाषा का अपना महत्व होता है और हिंदी भाषा तो वाणिज्य के लिए वरदान है। पूर्वोत्तर में कई जनजातियां निवास करती हैं और उनका व्यवसाय का माध्यम हिंदी भाषा है। कुलसचिव डॉ. प्रदोष किया नाथ का संदेश भी काफी सारगर्भित एवं प्रोत्साहित करने वाला था। प्रो. ज्ञान प्रकाश पांडे, जनसंचार विभाग ने कहा कि हिंदी एक पखवाड़े की भाषा न रह कर एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बोली जाने वाली भाषा हो गई है। कार्यक्रम में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण एवं प्रमाण पत्र दिया गया। इसके अंतर्गत तीन प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। आशुभाषण प्रतियोगिता में श्यामल आचार्जी को प्रथम पुरस्कार, टिप्पणी एवं मसौदा लेखन प्रतियोगिता में अनुप कुमार वर्मा को प्रथम और निबंध लेखन प्रतियोगिता में डॉ. अजीता तिवारी को प्रथम स्थान मिला। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुरेंद्र कुमार उपाध्याय, हिंदी अधिकारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पृथ्वीराज ग्वाला, हिंदी अनुवादक ने दिया। इस कार्यक्रम में अन्य विद्वानों ने भी भाग लिया और अपने विचार रखे, जिसमें डॉ वेदपर्णा डे, डॉ. गोविंद शर्मा, सांगनिक चौधरी, पिनाक कांति राय, संतोष ग्वाला, अनूप वर्मा, रामनाथ, शिबू नुनिया एवं अन्य शामिल हैं।