देश में बढ़ते कोरोना के मामलों के बावजूद भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ने उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, गोवा,मणिपुर और पंजाब में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी है। ऐसे में चुनाव प्रचार अभियान और राजनीतिक रैलियां संक्रमण को बढ़ाने में मददगार सिद्ध हो सकती हैं। यह अलग बात है कि चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक चुनावी रैलियों पर रोक लगा रखी है,परंतु यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा या नहीं, इस पर संशय बरकरार है। दूसरी ओर संबंधित राज्यों से एक सर्वे रिपोर्ट आई है, जिसमें 41 प्रतिशत लोगों की राय है कि चुनाव के मौके पर सार्वजनिक सभाएं और रैलियां आयोजित न की जाएं। कारण कि इससे ओमिक्रोन तेजी से फैलेगा, जो आम लोगों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। जैसाकि सर्वविदित है कि भारत में तेजी से बढ़ रहे कोविड-19 और उसके नए स्वरूप ओमिक्रोन से संक्रमितों के मामले एक बार फिर डराने लगे हैं। सरकारों ने भी इसके मद्देनजर अपने-अपने स्तर पर पाबंदियां लगानी शुरू कर दी हैं। फिलहाल संक्रमण तो काफी फैल रहा है। जानकार बताते हैं कि आने वाले समय में यह रुकेगा नहीं बल्कि और फैलेगा। कारण कि यह बहुत ही संक्रामक स्वरूप लेकर आया है। उल्लेखनीय है कि अमरीका ने भारत के मुकाबले ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया,इसके बावजूद वहां पर यह इतनी तेजी से फैल गया। पिछले 24 घंटों में अमरीका में संक्रमण के करीब नौ लाख मामले आए हैं। ब्रिटेन में पौने दो से दो लाख के करीब मामले रोजाना आ रहे हैं। भारत की आबादी के मुकाबले उनकी आबादी तो कुछ भी नहीं है। लिहाजा यहां भी यह फैलेगा। यहां अभी 14 लाख के करीब जांच हुई है। जांच का दायरा बढ़ेगा तो देश में मामले और बढ़ेंगे। कारण कि बहुत सारे मामले बगैर लक्षणों वाले हैं, बहुत से लोग जांच भी नहीं करवा रहे हैं और बहुत सारे लोग घरों में जांच करा रहे हैं लेकिन रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं। इसके बावजूद यदि संक्रमण के मामले लाख की संख्या में आ रहे हैं तो मतलब साफ है कि यह आने वाले दिनों में तेजी से बढ़ेगा। आने वाले दो हफ्तों में देखना होगा यह स्थिति क्या रूप लेती है। तब हमें पता चलेगा कि यह किस दिशा में बढ़ रहा है। लेकिन हम तीसरी लहर के मध्य में पहुंच गए हैं और इससे इनकार नहीं किया जा सकता। संक्रमण की रफ्तार यही रही तो फरवरी में यह अपने चरम पर पहुंच सकता है। फिर भी राहत की बात है कि यह बहुत खतरनाक नहीं है। तुलनात्मक रूप से देखें और अभी तक अनुभवों के आधार पर कहें तो ओमिक्रोन का स्वास्थ्य पर प्रभाव डेल्टा व कोराना के अब तक आए अन्य स्वरूपों के मुकाबले कम हैं। इस बार संक्रमण फेफड़ों तक नहीं पहुंच पा रहा है। कोरोना से अधिकांश मौते संक्रमण के फेफड़ों तक पहुंचने से होती हैं, लेकिन इसे हल्का बताकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह सिर्फ जुकाम भर नहीं है। इसलिए बहुत सावधान ओर सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह जानलेवा भी हो सकता है। जानकार बताते हैं कि जैसे-जैसे फैलता है, वह अपना स्वरूप बदलता है। आईएचयू अभी फ्रांस में शुरू हुआ है। आगे कोरोना के नए स्वरूप भी आ सकते हैं। इस पर तो नजर रखनी ही होगी। हमें इस वायरस को स्वरूप बदलने से रोकना है तो हमें ही सावधानी बरतनी होगी। उसे स्वरूप बदलने का मौका ही ना दें,क्योंकि यह जितना फैलेगा,उतनी ही आशंका इसके स्वरूप बदलने की है। संभवतः तीन से चार लहर के बाद इसे समाप्त हो जाना चाहिए। लेकिन यह महामारी अप्रत्याशित है। कोरोना के और स्वरूप भी आ सकते हैं। इसलिए, इस बारे में कोई भी भविष्यवाणी करना उचित नहीं होगा। लेकिन संभवतः और ज्यादा लहर ना आए। कारण कि हम लोगों की इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधकता) भी बढ़ रही है। टीका भी लग रहा है। स्वरूप भी हल्का पड़ रहा है। तो हो सकता है आने वाले समय में यह महामारी उतना ज्यादा कहर ना डाले। कुल मिलाकर हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि कहीं चुनाव कोरोना संक्रमण का बड़ा कारण न बन जाए। यदि ऐसा होता है तो दुर्भाग्यजनक होगा।