बुल्ली बाई ऐप की जांच के दौरान मुंबई और दिल्ली पुलिस ने अभी तक जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया है,उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रैड्स नाम से जाना जाता है। ट्रैड्स ट्रैडिशनलिस्ट्स का लघु रूप है। यूं तो ट्रैडिशनलिस्ट का मतलब परंपरावादी होता है, लेकिन सोशल मीडिया पर इस समूह की गतिविधियां किसी परंपरा को संजोए रखने पर नहीं बल्कि अपने उग्रचरमपंथी विचारों को फैलाने पर केंद्रित हैं। जानकारों का कहना है कि सोशल मीडिया पर इस तरह के हजारों खाते हैं, इनमें से कुछ के तो लाखों फॉलोवर हैं। ट्विटर पर इनमें से शायद ही कोई ब्लू टिक वाला सत्यापित खाता होगा लेकिन इनमें से कई खातों की ट्वीटों को कुछ सेलिब्रिटी खाते लाइक और रीट्वीट जरूर करते हैं। ये साइबर बुलिइंग और उत्पीड़न बहुत संगठित तरीके से करते हैं। अगर इन्हें ऑनलाइन आपको निशाना बनाना है तो ये अपने समूहों में बड़ी बारीकी से इसकी योजना बनाएंगे और फिर बड़ी संख्या में आप पर हमला करेंगे। ये ट्रैड्स मुख्य रूप से सक्रिय हिंसा को बढ़ावा देते हैं। ये खुद भी हत्या, बलात्कार और हर तरह की हिंसा करने की खुलेआम धमकी देते हैं। ये इतने चरमपंथी विचारों के होते हैं कि अपने विचारों से मेल नहीं खाती पार्टियों के खिलाफ नफरत व्यक्त करने के अलावा ये महज दिखाने के लिए अपने समर्थन वाली पार्टी की आलोचना करते हैं। ट्रैड्स ना सिर्फ ट्विटर बल्कि फेसबुक, टेलीग्राम और रेडिट जैसे मंचों पर भी सक्रिय हैं, जहां ये ना सिर्फ नफरत भरी बातें करते हैं बल्कि ऐसी भाषा और ग्राफिक का प्रयोग करते हैं जो भद्दी और आपराधिक होती हैं। ये इनसे अलग विचारों वाले लोगों को अक्सर सोशल मीडिया पर निशाना बनाते हैं। उल्लेखनीय है कि 2020 में ट्विटर पर एक खाते और उसको फॉलो करने वालों ने बेंगलुरु की वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डी. रूपा को निशाना बनाया। पुलिस की कार्रवाई के बाद इस खाते को ट्विटर ने सस्पेंड कर दिया लेकिन उसके बाद इसी यूजर ने के  नाम से एक और खाता बना लिया। कुछ ही घंटों में इस खाते को एक लाख से ज्यादा फॉलोवर भी मिल गए। ट्रैड्स भले ही सोशल मीडिया पर अपनी पहचान गुप्त रखते हों, लेकिन ये एक दूसरे को अच्छी तरह से चेहरों से और नामों से जानते हैं। बेनाम खातों के पीछे कौन व्यक्ति है ये लोग अच्छी तरह से जानते हैं और नियमित रूप से एक दूसरे से संपर्क में रहते हैं। इसका मतलब ट्रैड्स सिर्फ एक ऑनलाइन नेटवर्क नहीं हैं,बल्कि एक ऑफलाइन नेटवर्क भी है। अब सवाल यह बनता है कि सोशल मीडिया पर इस तरह की आपराधिक गतिविधियां इस तरह खुलेआम हो कैसे रही हैं। पुलिस और दूसरी कानूनी एजेंसियां इनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करतीं? बुल्ली बाई मामले में गिरफ्तार किए गए नीरज बिश्नोई और कुछ और लोगों के खिलाफ कुछ लोगों ने पुणे पुलिस और गुजरात पुलिस को शिकायत की थी, लेकिन दोनों स्थानों की पुलिस ने शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। ट्रैड्स खातों को कई बार ट्विटर को रिपोर्ट किया जा चुका है। ज्यादा शिकायतें मिलने पर ट्विटर इन खातों को सस्पेंड कर देता है, लेकिन ये नए नामों से फिर वापस आ जाते हैं। इस सब बातों की रोशनी में ट्रैड्स को लेकर कई तरह के सवाल उठते हैं जिनके जवाब शायद पुलिस जांच के बिना ना मिल पाएं। मसलन क्या वाकई इनका एक संगठित नेटवर्क है? क्या इस नेटवर्क का कोई सरगना है? अगर है तो कौन है? बुल्ली बाई मामले में पहली बार ऐसे लोग पुलिस की गिरफ्त में आए हैं।  देखना होगा कि जांच कहां तक जाती है? कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ट्रैड्स के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो ताकि अन्य कोई ऐसी साइबर हरकत न करे अन्यथा बार-बार भारत को बदनामी उठानी होगी, जिसकी भरपाई जल्द संभव नहीं है।