पिछले कुछ वर्षों से असम में आतंकी गतिविधियों में काफी कमी आई है। इससे असम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास की गति तेज हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने साल के प्रथम दिन खानापाड़ा स्थित राजकीय गेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि असम से ट्राईबल आतंकवाद लगभग समाप्ति की ओर है। बोड़ो, कार्बी एवं डिमासा उग्रवादी राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल हो गए हैं। बोड़ो उग्रवादियों की विभिन्न धड़ों के साथ केंद्र सरकार का समझौता हो चुका है। एनडीएफबी द्वारा सरकार को सौंपी गई पहली सूची में शामिल सभी आत्मसमर्पणकारी उग्रवादियों के पुनर्वास की व्यवस्था कर दी गई है। इसी तरह कार्बी एवं डिमासा क्षेत्र के अधिकांश उग्रवादियों की समस्याओं का हल हो चुका है। उन्होंने ट्राईबल उग्रवादियों के राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल होने का श्रेय सिविल सोसायटी को दिया। उनका कहना था कि राज्य का ट्राईबल समुदाय अब आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। अल्फा के चेयरमैन अरविंद राजखोवा के नेतृत्व में वार्ता समर्थक अल्फाइयों के साथ भी केंद्र सरकार की शांति-वार्ता चल रही है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से इसकी प्रगति काफी धीमी है। हाल ही में वार्ता समर्थक अल्फाइयों ने केंद्र सरकार की ईमानदारी पर प्रश्न उठाये थे। उनका कहना था कि वार्ता की प्रगति काफी धीमी है। अब मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा के सत्ता में आने के बाद परेश बरुवा की नेतृत्व वाली अल्फा(आई) ने वार्ता शुरू करने के प्रति सकारात्मक संकेत दिया है। अल्फा(आई) एकतरफा तीन-तीन महीने के लिए दो बार संघर्षविराम की घोषणा की है। कई मौके पर परेश बरुवा तथा मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने एक-दूसरे के पहल की सराहना की है। असम सरकार द्वारा ड्रग्स के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान की भी परेश बरुवा ने प्रशंसा की है। अल्फा(आई) तथा केंद्र सरकार के बीच वार्ता शुरू करने के क्षेत्र में सबसे बड़ी बाधा संप्रभुता का मुद्दा है। दोनों ही पक्ष इसका हल निकालने के लिए प्रयासरत हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस वार्ता के प्रति सकारात्मक रुख रखते हैं। हिमंत सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले छह महीने के दौरान अल्फा और सुरक्षा बलों के बीच कोई सीधे संघर्ष की घटना नहीं हुई है। दोनों ही पक्ष ऐसा कोई काम करना नहीं चाहते जिससे सकारात्मक माहौल पर विपरीत असर पड़े। मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने यह स्वीकार किया है कि विभिन्न चैनलों के माध्यम से वार्ता चल रही है। फिर भी औपचारिक वार्ता शुरू होना अभी बाकी है। अगर अल्फा(आई) वार्ता की मेज पर आता है तथा कोई सहमति बन जाती है तो यह असम के लिए अच्छी बात होगी। मालूम हो कि पिछले 20 वर्षों से अल्फा एवं सुरक्षा बलों के बीच टकराव चल रहा है। असम में उग्रवाद के कारण विकास की गति प्रभावित हो रही है। खराब कानून-व्यवस्था के कारण बाहर से पूंजी निवेश नहीं हो पा रहा है। ट्राईबल आतंकवाद खत्म होने के साथ ही अगर अल्फा(आई) के साथ भी समझौता हो जाए तो असम में उद्योग-धंधे तेजी से बढ़ेंगे तथा लोगों को रोजगार मिलेगा। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री की पहल से जल्द ही अल्फा(आई) के साथ संप्रभुता के मुद्दे को लेकर कोई निर्णय हो पाएगा। इसके लिए सभी संबंधित पक्षों को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। अल्फा को भी संप्रभुता के मुद्दे पर अडिग रवैया नहीं अपनाना चाहिए।