मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने वर्ष 2022 के पहले दिन पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा है कि असम सरकार पीएसओ देने के बारे में अलग कार्ययोजना बनाकर काम कर रही है, ताकि गैर-जरूरतमंद लोगों के यहां से पीएसओ हटाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक असम पुलिस की चार बटालियन जिनकी संख्या 4240 है, पीएसओ की ड्यूटी में तैनात हैं। इन लोगों पर मासिक चार सौ करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सुरक्षाकर्मियों की संख्या का 60 प्रतिशत राजनेताओं की सुरक्षा में तैनाती है। राजनेताओं की सुरक्षा में कुल 2526 पुलिसकर्मी काम कर रहे हैं। कुछ लोग तो अपने स्टेटस सिंबल के लिए पीएसओ रख रहे हैं, जिससे सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ पड़ रहा है। असम सरकार पीएसओ देने के बारे में अपनी नीति में व्यापक परिवर्तन कर पीएसओ संस्कृति पर चोट करने जा रही है। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। मुख्यमंत्री का यह कदम निश्चित रूप से सराहनीय है। पिछले छह महीनों के दौरान अभी तक चालीस से ज्यादा लोगों के पीएसओ वापस लिये जा चुके हैं। जिन लोगों ने अपने पीएसओ वापस नहीं किए हैं, उनकी समीक्षा कर उचित कदम उठाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि संवैधानिक पदों को छोड़कर पीएसओ पर पूरी समीक्षा होगी। यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री ने अपने पर भी इसको लागू किया है। मुख्यमंत्री के काफिले में 22 से ज्यादा वाहन चलते हैं, जिनकी संख्या अब घटाकर आठ कर दी गई है। भाजपा के भी कई नेताओं ने अपने पीएसओ वापस कर दिए हैं। बहुत से राजनेता, व्यापारी एवं पूर्व उग्रवादी अपनी पहुंच का फायदा उठाकर पीएसओ आवंटित करवा लेते हैं। अब असम सरकार के नए दिशा-निर्देश के अनुसार राज्य के पुलिस महानिदेशक केवल 30 दिनों तथा जिलों के पुलिस अधीक्षक केवल दस दिनों के लिए ही पीएसओ आवंटित कर सकते हैं। उससे ज्यादा समय के आवंटन के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी निर्णय लेगी। मुख्यमंत्री ने दुलियाजान में पुलिस अधीक्षकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए भी कहा है कि आपलोग ऐसा वातावरण बनाएं कि लोगों को पीएसओ लेने की जरूरत ही नहीं पड़े। पिछले कुछ महीनों से असम पुलिस ने ड्रग्स एवं संगठित अपराध के खिलाफ अभियान चला रखा है। इस दौरान कई अपराधी मारे भी गए हैं और सैकड़ों की संख्या में अपराधी गिरफ्तार भी किए गए हैं। अगर पुलिस को जनता का दिल जीतना है, तो उसे फ्रेंडली होना पड़ेगा। साथ ही अपराधियों के साथ कड़ाई भी बरतनी होगी। वर्षों से चले आ रहे पुलिसिया कार्यप्रणाली में सुधार लाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। आम जनता पुलिस के पास जाने से इसलिए घबराती है कि पुलिस कहीं उसी को न फंसा दे। मुख्यमंत्री शर्मा ने पुलिस के स्वभाव को बदलने की जो पहल की है उससे निश्चित रूप से लोगों का पुलिस पर भरोसा बढ़ेगा। पुलिस ने माटी दलालों के खिलाफ भी कार्रवाई कर अच्छा काम किया है। उम्मीद है कि पीएसओ के मद में सरकारी खजाने से राशि खर्च हो रही है उसका इस्तेमाल अब विकास कार्यों में होगा। दुलियाजान में हो रहे पुलिस अधीक्षकों के सम्मेलन से लिये गए निर्णय इस दिशा में काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे। जरूरत इस बात की है कि सरकार के निर्णय को ईमानदारी से पालन किया जाए।