पंजाब में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सियासी घमासान तेज हो गया है। एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाने तथा पाला बदलने का काम भी चल रहा है। सभी पार्टियां अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं। सत्ताधारी कांग्रेस अंदरूनी कलह सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही है। पार्टी में चल रही उठापटक का असर आगामी चुनाव पर निश्चित रूप से पड़ेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू आगामी चुनाव में सीएम का चेहरा बनने के लिए आलाकमान पर दबाव डाल रहे हैं, किंतु आलाकमान बिना चेहरे के ही चुनाव में उतरने का मन बना चुकी है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तथा सिद्धू के बीच मनमुटाव सार्वजनिक हो चुका है। आलाकमान को लगा था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा, किंतु ऐसा नहीं हो रहा है। अकाली दल फिर से सत्ता तक पहुंचने के लिए जोर लगा रही है। अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनावी तालमेल भी किया है। आम आदमी पार्टी (आप) अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पंजाब की सत्ता पर काबिज होने के लिए जनता को कई प्रलोभन दे रही है। आप ने अभी से ही पंजाब में जोरदार प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में आप ने सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कर अपने दमखम का परिचय दे दिया है। भाजपा देर से ही सही अब पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है। उपरोक्त तीनों पार्टियों के नाराज नेताओं के लिए भाजपा ही सबसे सुरक्षित जगह लग रही है। अनेक विपक्षी नेताओं ने हाल ही में भाजपा का दामन भी थामा है। भाजपा कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी तथा अकाली दल से अलग होकर सुखदेव सिंह ढींढसा के नेतृत्व में गठित पार्टी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतर रही है। भाजपा कैप्टन के द्वारा कांग्रेस को तहस-नहस करने तथा ढींढसा के द्वारा अकाली दल को नुकसान पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ढींढसा कई अकाली नेताओं के संपर्क में हैं। चुनाव नजदीक आने के साथ ही कांग्रेस तथा अकाली दल के और कई नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इस पूरे प्रकरण की पटकथा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लिखी है। शाह ने कैप्टन तथा ढींढसा के साथ बैठक के बाद पंजाब के लिए पूरी रणनीति तैयार की है। इन दोनों नेताओं की मदद भाजपा पंजाब के मालवा क्षेत्र पर कब्जा करने की तैयारी में है। मालूम हो कि पंजाब विधानसभा के 117 सीटों में से 69 सीट मालवा क्षेत्र में है। वर्ष 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने मालवा के 69 में से 40 सीटों पर कब्जा किया था। ऐसा माना जा रहा है कि जिस पार्टी का मालवा में वर्चस्व होगा उसी की सरकार पंजाब में बनेगी। भाजपा अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इंतजार कर रही है, जिनकी रैली 5 जनवरी को पंजाब के फिरोजपुर में होने वाली है। इस रैली के दौरान भाजपा अपना पूरा दमखम दिखाएगी। उस रैली में प्रधानमंत्री पंजाब के लिए कई तोहफों की घोषणा करेंगे। मोदी सरकार ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर, सिख विरोधी दंगों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई तथा गुरुनानक जयंती के दिन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर पंजाब की जनता को साधने का भरसक प्रयास किया है। अफगानिस्तान से भी प्रभावित सिखों को भारत लाकर सिख समुदाय का हितैषी होने का उदाहरण पेश किया है। अब भाजपा गठबंधन के मैदान में उतरने से पंजाब विधानसभा का चुनाव चतुष्कोणीय हो गया है।