देश में कोरोना की तीसरी लहर की आहट के बीच पांच राज्यों में चुनाव प्रचार तेजी पकड़ता जा रहा है। खासकर यूपी में दल पूरी ताकत के साथ प्रचार कर रहे हैं। रैलियों में भीड़ भी खूब जुट रही,लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा। 2022 में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा, और मणिपुर में विधानसभा के चुनाव होंगे। पांच राज्यों के विधानसभा के चुनाव 2024 में होने वाले आम चुनाव के लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं। इसीलिए नेताओं के दौरे चुनाव वाले राज्यों में बढ़ गए हैं। वहां ताबड़तोड़ रैलियां हो रही हैं और हजारों की संख्या में लोग रैलियों में शामिल हो रहे हैं। दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले नए वैरिएंट ओमिक्रोन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता जताई है। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने प्रधानमंत्री और चुनाव आयुक्त से विधानसभा चुनाव में कोरोना की तीसरी लहर से जनता को बचाने के लिए चुनावी रैलियों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि चुनाव प्रचार दूरदर्शन और समाचार पत्रों के माध्यम से हो। हाईकोर्ट ने चुनावी सभाएं और रैलियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की हिदायत दी है। साथ ही प्रधानमंत्री से चुनाव टालने पर भी विचार करने को कहा है,क्योंकि जान है तो जहान है। इलाहबाद हाईकोर्ट की इस नसीहत के बाद ये सवाल अहम हो गया है कि क्या कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक के बाद पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव टाले जा सकते हैं? हाईकोर्ट ने कहा है कि संभव हो सके तो फरवरी में होने वाले चुनाव को एक-दो माह के लिए टाल दें,क्योंकि जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी। जीवन का अधिकार हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में भी दिया गया है। हाईकोर्ट ने कोरोना के तेजी से फैलने और इसकी वजह से लगातार बढ़ते खतरे पर मीडिया में आई खबरों का हवाला भी दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इस महामारी को देखते हुए चीन, नीदरलैंड, आयरलैंड, जर्मनी, स्कॉटलैंड जैसे देशों ने पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। लिहाजा देश में भी ऐसे हालात से निपटने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। दरअसल यूपी में चुनावी रैलियों में उमड़ रही हजारों-लाखों की भीड़ चिंता बढ़ा रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री ने खुद अपनी रैली में आई भीड़ पर खुशी जताई थी। हमें याद है कि बीते अप्रैल में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री ने बड़ी-बड़ी रैलियां की थीं। उल्लेखनीय है कि अब यूपी में विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं, जिसके लिए पार्टियां रैलियां और बैठकें कर रही हैं और लाखों की भीड़ इकट्ठा कर रही है। इन कार्यक्रमों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना संभव नहीं है। अगर इसे समय रहते रोका नहीं गया तो परिणाम दूसरी लहर से भी ज्यादा भयावह होंगे। कोर्ट ने सुझाव दिया कि संभव हो तो फरवरी में होने वाले चुनाव को एक दो महीने के लिए टाल दें। उल्लेखनीय है कि चुनाव लोकतंत्र का आधार है, जनता को अधिकार है कि पांच साल बाद अपनी सरकार चुनें। अब हाई कोर्ट ने एक सुझाव दिया जाहिर तौर पर उसकी चिंता भी जायज है। हमें देखना है कि परिस्थिति कैसी है और सरकार का रवैया कैसा है। इस बीच गुरुवार को ही मोदी ने एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की है, जिसमें ओमिक्रोन के बढ़ते प्रकोप के बीच कोविड-19 को नियंत्रित और प्रबंधित करने, दवाओं और ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता समेत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया उपायों की समीक्षा की गई। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि कोर्ट की चिंता शत-प्रतिशत सही है और उसकी राय पर अमल किया जाना चाहिए।