सीडीएस जनरल बिपिन रावत को ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद रोधी अभियानों की कमान संभालने का खासा अनुभव था। उनकी अगुवाई में भारतीय सेना ने कई ऑपरेशन को अंजाम दिया था। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर में हादसे का शिकार हो गया। हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई।  उनके निधन से देश में शोक की लहर है। आइए जानते हैं कि सेना में शामिल होने के बाद से जनरल रावत के नाम क्या-क्या उपलब्धियां रहीं। 16 मार्च 1958 को देहरादून में जन्मे सीडीएस बिपिन रावत के पिताजी एल एस रावत भी फौज में थे और उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल एल एस रावत के नाम से पहचाना जाता था। सीडीएस रावत सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकसला के पूर्व छात्र थे। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में एम. फिल की डिग्री हासिल की और मैनेजमेंट और कंप्यूटर स्टडीज में डिप्लोमा लिया था। दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में उन्हें नियुक्त किया गया। उन्हें यहां सोर्ड ऑफ ऑनर से भी सम्मानित किया जा चुका था। जनरल बिपिन रावत को ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद रोधी अभियानों की कमान संभालने का खासा अनुभव था। वह 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफेंट्री बटालियन के प्रमुख की भूमिका निभा चुके थे। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इंफेंट्री डिवीजन की अगुआई भी की थी। वह कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी कर चुके थे। सीडीएस बिपिन रावत की अगुवाई में भारतीय सेना ने कई ऑपरेशन को भी अंजाम दिया था। उन्होंने पूर्वोत्तर में आतंकवाद को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।