नगालैंड सरकार ने बुधवार को राज्य के डिमापुर, चुमुकेडिमा और न्यूलैंड जिलों में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) लागू करने का फैसला किया है। डिमापुर जिले में आईएलपी लागू करने की मांग बहुत वर्षों से चली आ रही थी। वर्ष 2021 में डिमापुर को तीन जिले में विभक्त कर दिया गया। जिसके नाम क्रमशः डिमापुर, चुमुकेडिमा और न्यूलैंड हंै। डिमापुर और न्यूलैंड जिले की सीमा असम से लगती है। नगालैंड सरकार ने आईएलपी गैर-नगा लोगों के लिए लागू किया है। गैर-नगा लोगों को तीन श्रेणियों में रखा गया है। श्रेणी एक और दो के लिए आईएलपी की जरुरत नहीं होगी। श्रेणी एक में वे लोग शामिल होंगे जो 1 दिसंबर 1963 को नगालैंड गठन से पहले डिमापुर में बसे थे। दूसरी श्रेणी में वे लोग होंगे जो 1 दिसंबर 1963 और 21 नवंबर 1979 के बीच डिमापुर में बसे थे। उसके बाद डिमापुर में आकर बसे लोगों के लिए आईएलपी जरूरी होगा। कुछ श्रेणियों में जैसे- छात्रों, शिक्षकों, तकनीकी कर्मियों, राज्य में निवेश करने वाले व्यापारियों को एक बार में दो से पांच वर्ष की लंबी अवधि के लिए आईएलपी उपलब्ध कराने की योजना है। आईएलपी प्रणाली लागू होने से दैनिक यात्रा करने वाले व्यापारियों को परेशानी होगी। ऐसे लोगों को आईएलपी लेने में असुविधा होगी। हालांकि सरकार का कहना है कि वह इसके लिए डिजिटल प्रणाली की शुरुआत करेगा। डिजिटल प्रणाली कहां तक लोगों की परेशानी दूर करेगा यह देखने की बात होगी। असम से बड़ी संख्या में लोग व्यापार तथा छोटे-मोटे काम के लिए डिमापुर आते-जाते रहते हैं। हाल ही में बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन और राजनीतिक अस्थिरता ने वहां के छात्र संगठनों को सरकार पर दबाव बढ़ाने का मौका दे दिया है। नगालैंड छात्र संघ ने पिछले 4 सितंबर को राज्य सरकार के सामने आईएलपी लागू करने की घोषणा के लिए 14 दिनों का अल्टीमेटम दिया था। छात्र संघ का कहना है कि स्वदेशी लोगों की पहचान और अस्तित्व की रक्षा के लिए आईएलपी लगाना जरूरी है। छात्र संगठनों का मानना है कि बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण बड़ी संख्या में लोग नगालैंड में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे लोगों को रोकने के लिए आईएलपी लगाना जरूरी है। यह सबको मालूम है कि असम पहले से ही बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रहा है। राज्य के कई हिस्सों में घुसपैठियों का दबदबा है। असम के साथ-साथ अब पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी घुसपैठ का खतरा बढ़ने लगा है। नगालैंड सरकार को भारतीय नागरिकों के लिए आईएलपी लागू नहीं करना चाहिए। क्योंकि उससे नगालैंड का व्यापार प्रभावित होगा जिससे वहां की अर्थ-व्यवस्था प्रभावित होगी। जहां केंद्र सरकार निवेश को बढ़ाने के लिए विदेशी कंपनियों का दरवाजा खोल रही है, वहीं नगालैंड सरकार का यह कदम न्यायोचित नहीं है।