हमास के प्रमुख इस्माइल हनियेह की हत्या के बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए हानियेह मंगलवार को ईरान की राजधानी तेहरान में थे। बुधवार को तेहरान में ही अज्ञात हवाई हमले में हानियेह की मौत हो गई। ईरान ने इस हत्या के लिए इजरायल को जिम्मेवार ठहराया है। मालूम हो कि पिछले नौ महीनों से इजरायल और हमास के बीच युद्ध चल रहा है। पिछले वर्ष अक्तूबर में हमास के उग्रवादियों द्वारा इजरायल में अचानक हमला कर कई निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई थी। सैकड़ों नागरिकों का अपहरण भी कर लिया गया था। उसके बाद इजरायल ने हमास को खत्म करने की कसम खाई थी, उसके बाद से ही इजरायल और हमास के बीच लगातार युद्ध चल रहा है। ईरान हमास को हर तरह से सहयोग एवं समर्थन दे रहा है। ईरान के अलावा हिज्बुल्लाह और हुती विद्रोहियों द्वारा भी हमास को समर्थन मिल रहा है। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने पहले ही कहा था कि हम इस युद्ध को अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेंगे। पिछले मंगलवार को इजरायली सेना ने हिज्बुल्लाह के शीर्ष कमांडर फुआद शुकर को मार गिराया था। इससे पहले हमास के सैन्य प्रमुख मोहम्मद देईफ को भी हवाई हमले में ढेर कर दिया गया था। लेकिन हमास के राजनीतिक प्रमुख हानियेह कतर तथा ईरान में शरण लिये हुए थे। हमास के लिए ईरान सबसे सुरक्षित जगह है। ईरान में हानियेह की हत्या ने ईरान को आग-बबूला कर दिया है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खोमनई ने अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक में इजरायल को सबक सिखाने के लिए सीधा हमला करने का आदेश दिया है। यह हमला किस रूप में होगा इसका अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। हो सकता है कि यह हमला ड्रोन या मिसाइल के द्वारा हो। हमास प्रमुख की हत्या ईरान की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। ईरान द्वारा सीधा हमला करने के आदेश के बाद अमरीका का बयान भी सामने आया है। अमरीका ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर हमला हुआ तो अमरीका इजरायल के समर्थन में खड़ा होगा। इजरायल के प्रधानमंत्री ने भी करारा जवाब देने की बात कही है। इस घटना के बाद पश्चिम एशिया एवं मध्य-पूर्व में व्यापक युद्ध की चिंगारी सुलगने लगी है। ईरान के साथ-साथ हिज्बुल्लाह तथा हुती विद्रोही भी मैदान में आ चुके हैं। हमास के साथ-साथ इजरायल ने हिज्बुल्लाह और हुती विद्रोहियों पर भी हमला किया है। हिज्बुल्लाह के सैन्य प्रमुख के मारे जाने से हिज्बुल्लाह काफी गुस्से में है। अमरीका का कहना है कि ईरान 1979 से ही आतंकी समूहों को अपने राजनीतिक हित के लिए बढ़ावा देता रहा है। युद्ध का दायरा बढ़ने से भारत के लिए समस्या पैदा होगी, क्योंकि इजरायल तथा ईरान दोनों ही भारत के अच्छे दोस्त हैं। इजरायल ने हर संकट के समय भारत का साथ दिया है, जबकि ईरान में भारत की महत्वपूर्ण परियोजना चाबहार बंदरगाह है। यूरोप तक पहुंचने के लिए भारत इस बंदरगाह को विकसित कर रहा है, जो पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का जवाब है। ईरान भी हर समय भारत का साथ देता रहा है। खासकर कश्मीर के मुद्दे पर ईरान ने कभी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया है। ऐसी स्थिति में भारत को अपनी कूटनीति में संतुलन बनाए रखना होगा। युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है। हमास की हिंसक गतिविधियों के कारण हजारों फिलिस्तीनी नागरिकों को जान गंवानी पड़ी है। इस समस्या का हल शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए।