26 जुलाई को नीति आयोग की 9वीं शासी परिसर की बैठक हुई, जिसमें दस विपक्षी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बजट आवंटन में भेदभाव का आरोप लगाकर इसका बहिष्कार किया। इंडिया गठबंधन की प्रमुख घटक टीएमसी की सुप्रीमो तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बैठक में हिस्सा लिया, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि ममता ने पर्याप्त समय नहीं देने तथा पांच मिनट बाद माइक बंद करने का आरोप लगाकर इस बैठक का बहिष्कार किया। इसको लेकर राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा हुआ है। इस मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष सामने आ गया है। सत्ता पक्ष का कहना है कि ममता को पूरा बोलने दिया गया तथा माइक बंद नहीं किया गया। ममता इस मुद्दे पर राजनीति कर रही हैं। इस मामले में नया मोड़ उस वक्त आ गया जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने ममता पर झूठ बोलने का आरोप लगाया तथा कहा कि पश्चिम बंगाल में अराजकता की स्थिति है। शिष्टाचार और कानून एवं व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में चौधरी ने इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। नीति आयोग की बैठक को बीच में छोड़ने के मुद्दे पर कांग्रेस जहां ममता का समर्थन कर रही है, वहीं अधीर रंजन चौधरी ममता सरकार की नीति पर सवाल खड़े कर रहे हैं। नीति आयोग की बैठक में 26 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया था। कांग्रेस तथा इंडिया गठबंधन शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक से किनारा किया। लोकसभा चुनाव के बाद विपक्ष नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक मुद्रा में है। इंडिया गठबंधन मोदी सरकार को हर मुद्दे पर घेरने का कोई भी अवसर हाथ से जाने नहीं दे रहा है। लोकसभा तथा राज्यसभा में कांग्रेस पूरी तरह हमलावर मुद्रा में है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और सरकार के बीच लगातार टकराव चल रहा है। इसकी शुरुआत स्पीकर के चुनाव के वक्त से ही शुरू हो चुकी है। आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांव के स्तर पर गरीबी को समाप्त करने का लक्ष्य तय करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि केवल कार्यक्रम स्तर के बजाय व्यक्तिगत आधार पर गरीबी से निपटने की आवश्यकता है। विकसित भारत के लिए प्राथमिक आधार पर ग्रामीण स्तर पर शून्य गरीबी का लक्ष्य तय होना चाहिए। राज्यों को निवेशक अनुकूल परिवेश बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। अगर राज्य में शांति का वातावरण होगा तो उससे निवेश भी बढ़ेगा। प्रधानमंत्री का मानना है कि राज्य सीधे विदेशी पूंजी निवेश (एफडीआई) के लिए प्रतिस्पर्द्धा करे ताकि निवेश सभी राज्यों तक पहुंच सके। इसके लिए केवल प्रोत्साहन से काम नहीं चलेगा, बल्कि कानून और व्यवस्था, सुशासन तथा बुनियादी ढांचे को ठीक करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र को सामूहिक प्रयास करने पर जोर दिया। मालूम हो कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2026 तक भारत को चौथी तथा वर्ष 2027 तक देश को विश्व की तीसरी अर्थ-व्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। आयोग की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने भाजपा शासित राज्यों के 13 मुख्यमंत्रियों तथा 15 उप-मुख्यमंत्रियों के साथ अलग से बैठक की। इस बैठक में पिछले लोकसभा चुनाव से सीख लेकर विकास की गति को तेज करने पर जोर दिया गया। राष्ट्रहित के मुद्दे पर राजनीति करना सही नहीं है। प्रगति के लिए पक्ष और विपक्ष सभी को मिलकर काम करने की जरुरत है।