पिछले कुछ महीनों से जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। आतंकी संगठनों ने कश्मीर घाटी को छोड़कर जम्मू संभाग को निशाने पर लिया है। पिछले 16 जुलाई को डोडा जिले में भारी हथियारों से लेस आंतकियों के हमले में सेना के कैप्टन सहित चार जवान शहीद हो गए हैं। इससे पहले आतंकियों ने कठुआ में हमला किया था जिसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। पिछले तीन वर्षों के दौरान जम्मू संभाग में हुए सात आतंकी हमले में सेना 32 जवान शहीद हो चुके हैं। पिछले सात महीनों के दौरान आतंकी हमले में 12 सुरक्षाकर्मी एवं 10 नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं। वर्ष 2024 में ही डोडा से पहले कठुआ, राजोरी, रियासी, कुंज, उद्यमपुर इलाके में कई आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं। वर्ष 2024 में ही आतंकी गतिविधियों में तेजी से वृद्धि हुई है। लगातरा हो रही आतंकी घटनाओं के खिलाफ लोगों में काफी आक्रोश है। विपक्षी पार्टियां तथा जम्मू-कश्मीर की जनता कड़ी कार्रवाई की मांग की रही है। लोगों का कहना है कि अब केवल राजनीतिक बैठक करने एवं सर्च ऑपरेशन चलाने से काम नहीं चलेगा। खुफिया तंत्र को और मजबूत करना पड़ेगा तथा पाकिस्तान में स्थित आतंकियों के लॉच पैड को भी निशाना बनाना पड़ेगा। भारत की सैनिक कार्रवाई को ध्यान में रखकर आतंकियों ने अपनी रणनीति में भी काफी बदलाव किया है। पहला कश्मीर घाटी से हटकर अब जम्मू पर फोकस करना शुरू किया है। दूसरी बात यह है कि आतंकी हमास की तर्ज पर हिसंक घटनाओं को अंजाम देने के बाद गुफा और घरों में स्थित अपने भूमिगत ठिकानों में शरण ले रहे हैं ताकि सुरक्षाबलों की नजर में नहीं आए। हाल ही में सेना ने एक ऐसी भूमिगत सुरंग पता लगाया जहां आतंकी छिपे हुए थे। ऐसी स्थिति में सेना को भी ऐसे भूमिगत सुरंगों का पता लगाकर उसको नष्ट करने के लिए अभियान चलाना चाहिए। इजरायल द्वारा गाजा में हमास द्वारा चलाए जा रहे अभियान से भारत को सीख लेने की जरूरत है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद विकास की प्रक्रिया तेज हुई है तथा वहां खुशहाली लौटी है। पाकिस्तानी सेना तथा गुप्तचर एजेंसी आईएसआई नहीं चाहती है कि जम्मू-कश्मीर में शांति हो। पड़ोसी देश चीन अपने निहित स्वार्थ के लिए जम्मू-कश्मीर को अशांत करने के लिए पाकिस्तान को हर संभव सहयोग दे रहा है। पाकिस्तानी सरकार जम्मू-कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा देकर अपनी जनता का ध्यान महंगाई एवं बेरोजगारी जैसे ज्वंलत मुद्दों से हटाना चाहती है। पाकिस्तान की जनता गगनचुंबी महंगाई से त्रस्त हैं। आए दिन वहां महंगाई के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन हो रहे हैं जिसको नियंत्रित करने में वहां की सरकार विफल हो रही है। शहबाज शरीफ सरकार दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष कर्ज देने के लिए पाक पर कड़े शर्त थोप रहा है। वहां की सरकार को अपनी जनता के हित की चिंता नहीं है। शहबाज सरकार तथा उसकी सेना का ध्यान भारत को अशांत करने पर लगा हुआ है। भारत सरकार को जम्मू-कश्मीर में और जवानों को भेजकर अभियान तेज करना होगा। इसके साथ ही भारत की सीमा से सटे लॉच पैड पर स्थित आतंकियों ठिकानों को नष्ट करना होगा। भारत पहले भी पाकिस्तान में स्थित आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कर चुका है। अब समय आ गया है कि भारत पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए कड़ी कार्रवाई करें। हाल ही में संपन्न हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर आईना दिखाया था। पाकिस्तान जैसा पड़ोसी केवल शक्ति की भाषा समझता है। ऐसी स्थिति में मुंहतोड़ जवाब देना ही एकमात्र विकल्प है। भारतीय सेना किसी भी चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम है।