बंगाल की खाड़ी से संबंधित देशों के संगठन बिम्सटेक के विदेश मंत्रियों का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में भारत के अलावा श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यामां, थाईलैंड, नेपाल तथा भूटान के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में क्षेत्रीय सहयोग, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, व्यापार, स्वास्थ्य, कृृषि, विज्ञान, सुरक्षा, लोगों के बीच सहयोग आदि मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों ने आपसी सहयोग पर विशेष जोर दिया। नई ऊर्जा एवं नए स्रोत पर भी विचार-विमर्श किया गया। सम्मेलन के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेश मंत्रियों के साथ अपने विचार साझा किये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत पड़ोसी प्रथम तथा एक्ट ईस्ट पॉलिसी को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है। चीन द्वारा भारत के पड़ोसी देशों को अपने पाले में करने के लिए तरह-तरह की साजिश करने को देखते हुए बिम्सटेक सम्मेलन का कूटनीतिक एवं सामरिक महत्व है। चीन पड़ोसी देशों को कर्जजाल में फंसा कर भारत के खिलाफ साजिश रचता रहता है। श्रीलंका, म्यामां तथा नेपाल में चीनी षड्यंत्र जगजाहिर हो चुका है।
दक्षिण एशियाई देशों का संगठन, दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के निष्कि्रय होने से बिम्सटेक की अहमियत बढ़ गई है। पाकिस्तान द्वारा सार्क की बैठकों में लगातार अड़ंगा डालने से यह संगठन अपने लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पा रहा है। यही कारण है कि भारत ने बिम्सटेक जैसे संगठन का गठन किया है। दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत और चीन दो बड़ी शक्ति है। हमारे कुछ पड़ोसी देश भारत और चीन की प्रतिस्पर्द्धा का फायदा उठाते हुए दोनों से ज्यादा लाभ लेने की कोशिश करते हैं। बांग्लादेश जैसा पड़ोसी भी भारत और चीन से ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने की कोशिश में है। चीन भूटान को बड़ी सहायता देकर अपने पाले में खींचने की कोशिश में है। म्यामां के सैनिक शासकों को अपने पक्ष में करने के लिए चीन उनको हर तरह का सहयोग दे रहा है। म्यामां के सैनिक तानाशाहों ने लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा दी है।
भारत बिम्सटेक के माध्यम से म्यामां में लोकतंत्र की स्थापना के लिए काम कर रहा है। म्यामां में पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों का शिविर भी चल रहा है, जिस पर नियंत्रण के लिए म्यामां का सहयोग आवश्यक है। वहां राजनीतिक अस्थिरता होने के कारण भारत को थाईलैंड से जोड़ने वाली सड़क का काम बंद पड़ा है। अगर यह काम पूरा हो जाता है तो भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का संपर्क दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ सीधा हो जाएगा। बिम्सटेक सम्मेलन के अलावा भारत ने वहां मौजूद अलग-अलग देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक कर द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तार से चर्चा की तथा कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये। भारत बंगाल की खाड़ी से संबद्ध देशों के साथ संबंध मजबूत कर इन देशों को चीन के खेमे में जाने से रोकने का प्रयास कर रहा है। श्रीलंका को संकट के समय मदद कर भारत ने दिवालिया होने से बचाया है। इसके बाद श्रीलंका के साथ भारत के संबंध पहले से मजबूत हुए हैं। बिम्सटेक देशों के साथ संबंध मजबूत होने से भारत को इसका फायदा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी मिलेगा। भारत इस क्षेत्र में भी चीन की दादागिरी की चुनौती से निपटने के लिए वहां के देशों की मदद कर रहा है।