भारी बारिश के कारण देश के अन्य भागों की तरह असम में भी बाढ़ का कहर जारी है। बाढ़ के कारण असम के 29 जिलों के करीब 25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ की विभीषिका में अब तक 70 लोगों की जानें जा चुकी हैं। ब्रह्मपुत्र सहित असम की लगभग सभी सहायक नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे राहत एवं बचाव कार्य नाकाफी साबित हो रहे हैं। लोगों को स्वच्छ पेयजल की समस्या पैदा हो रही है। ऊपरी असम से लेकर निचले असम तक बाढ़ के कारण हा-हाकार मचा हुआ है। ऊपरी असम के तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, लखीमपुर, धेमाजी, जोरहाट के साथ-साथ मध्य असम के नगांव, मोरीगांव, कछार के हैलाकांदी, करीमगंज की हालत भी बहुत खराब है। निचले असम के धुबड़ी, ग्वालपाड़ा, बरपेटा, बंगाईगांव, कोकराझाड़, दरंग, दक्षिण सालमारा में बाढ़ से त्राहि-त्राहि मचा हुआ है। ब्रह्मपुत्र के साथ-साथ बूढ़ीदिहिंग, दिखौ, दिसांग, धनशिरी, बराक, कपिली, जियाभराली एवं संकोस जैसी नदियां अपना रौद्र रूप दिखा रही हैं। असम में बहने वाली अधिकांश नदियां भूटान, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड एवं मेघालय की तरफ से आती हैं। उन क्षेत्रों में जब ज्यादा बारिश होती है तो उसका प्रभाव असम पर भी पड़ता है। भूटान एवं अरुणाचल प्रदेश की तरफ से ज्यादा पानी छोड़ने के कारण असम में जल भराव की स्थिति पैदा हो जाती है। बाढ़ का प्रभाव केवल मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जानवरों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बाढ़ के कारण अब तक काजीरंगा सहित राज्य के दूसरे भागों में 130 से ज्यादा जानवरों की मौत हो चुकी है, जिसमें 6 गैंडे एवं 100 हिरण शामिल हैं। कई जानवरों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध करवाई जा रही है। राज्य प्रशासन ने काजीरंगा में जानवरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वाहनों के आवागमन को नियंत्रित किया है तथा उनकी सुरक्षा के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं। सबसे ज्यादा धुबड़ी, कछार तथा दरंग जिले में ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। केवल धुबड़ी में ही 8 लाख लोग सुरक्षित स्थानों पर शरण लिये हुए हैं। मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा पिछले कुछ दिनों से लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। वे राहत एवं बचाव कार्य का लगातार निगरानी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री को फोन कर बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली थी। 7 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री को फोन कर ताजा स्थिति की जानकारी ली तथा राज्य सरकार को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। केंद्र सरकार एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ को पर्याप्त संख्या में भेजी है। एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ के जवान लगातार राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हैं। केंद्रीय जल परिवहन एवं बंदरगाह मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने भी डिब्रूगढ़ सहित राज्य के कुछ अन्य प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया तथा स्थिति से केंद्र सरकार को अवगत कराया। प्रश्न यह उठता है कि प्रतिवर्ष असम में आने वाली बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित होते हैं एवं फसलों को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा सड़क, पुल एवं बुनियादी ढांचा तहस-नहस हो जाता है। ऐसी स्थिति में केंद्र एवं राज्य सरकार को बाढ़ की समस्या के स्थायी हल के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए। असम की बाढ़ को लेकर विपक्षी दल भी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। सरकार को बाढ़ प्रभावित लोगों के राहत एवं बचाव कार्य के लिए युद्ध स्तर पर कदम उठाना चाहिए। भारी बारिश एवं भूृ-स्खलन से केवल असम ही नहीं बल्कि देश के कई अन्य राज्य भी प्रभावित हुए हैं। उत्तराखंड की हालत तो और गंभीर है। लगातार बारिश से उत्तराखंड के कई प्रमुख शहर जलमग्न हो गए हैं। इसी तरह देश के अन्य भागों में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है।