उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र के पुलरई-मुगलगढ़ी गांव में आयोजित एक सत्संग में मंगलवार को अचानक मची भगदड़ में अब तक 121 लोगों की मौत हो गई है तथा 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। वहां साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा उर्फ सूरज पाल सिंह का 2 जुलाई को प्रवचन चल रहा था। उस सत्संग में लगभग 50,000 लोग शामिल हुए थे। सत्संग खत्म होने के बाद लोग जब आयोजन स्थल से बाहर निकल रहे थे उसी समय यह घटना हुई। ऐसी खबर है कि बाबा के चरण छूने के लिए उपस्थित भक्तगण बेचैन थे। सर्वप्रथम सेवादारों ने बाबा के काफिले को बाहर निकाला। उसके बाद वहां उपस्थित भीड़ बाबा के चरण स्पर्श करने के लिए बेकाबू हो रही थी। आयोजकों एवं सेवादारों द्वारा की गई धक्का-मुक्की के दौरान भक्तगण कीचड़ से भरे सड़क से फिसल-फिसल कर नीचे के गड्ढे में एक-दूसरे पर पड़ते गए। मृतकों में ज्यादातर महिलाएं एवं बच्चे शामिल हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि इस दर्दनाक घटना के लिए कौन जिम्मेदार है? 121 लोगों की जिंदगी खत्म करने के लिए जो भी दोषी हो उसको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इस तरह के आयोजन से पहले आयोजकों तथा जिला प्रशासन को उचित कदम उठाना चाहिए। ऐसी रिपोर्ट है कि 2 जुलाई को होने वाले सत्संग के लिए उत्तर प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा हरियाणा से करीब 500 बसों में सवार होकर भक्त 27 जून को ही पहुंच चुके थे। वहां लगे टेंट और पंडाल को देखकर ऐसा लगता था कि वहां बड़ा आयोजन होने वाला है। सबसे दुखद बात यह है कि जिस भोले बाबा के सत्संग के दौरान यह घटना हुई वे बाबा पहले ही वहां से फरार हो गए। सेवादार भी अपना पल्ला झाड़ते हुए निकल गए। जिस भोले बाबा ने अपने प्रवचन में कहा कि मानव सेवा सबसे बड़ी सेवा है, वही बाबा मानवता को कराहते हुए छोड़कर फरार हो गए। बाबा और उनके सेवादारों को गिरफ्तार कर कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए। जिला प्रशासन को भी क्लीन चिट नहीं दिया जा सकता है। अगर आयोजकों द्वारा सत्संग से पहले भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कदम नहीं उठाया गया तो जिला प्रशासन को आयोजन की अनुमति नहीं देनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित विभिन्न नेताओं ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया है। रूस के राष्ट्रपति ने भी प्रधानमंत्री को संदेश भेजकर हाथरस की घटना पर संवेदना व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश की सरकार ने इस घटना की जांच के लिए आगरा रेंज के एडीजी को घटना की जांच का जिम्मा सौंपा है। इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए। आम जनता को भी अब सोचना पड़ेगा कि इस तरह के आयोजन में जाने से पहले सावधानी बरती जाए। भोले बाबा पहले सूरज पाल के नाम से पुलिस की नौकरी करता था। 17 वर्ष पहले सूरज पाल ने पुलिस की नौकरी छोड़कर सत्संग करना शुरू कर दिया। 23 वर्ष पहले भोले बाबा सहित 7 लोगों को आगरा पुलिस ने एक मामले में गिरफ्तार किया था। पर्याप्त सबूत के अभाव में इन लोगों को जमानत मिल गई। भगदड़ की घटना ने कई तरह के प्रश्न खड़े किये हैं जिसका जवाब आना बाकी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतकों को दो-दो लाख तथा घायलों को 50-50 हजार रुपए देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों को दो-दो लाख रुपए देने की घोषणा की है। यह मुआवजा मृतकों की जान की कीमत नहीं है। सरकार और प्रशासन को इस तरह के आयोजन से पहले तैयारी पर गौर करना चाहिए। घायलों के इलाज के लिए वहां पर्याप्त चिकित्सा सुविधा वहां नहीं है। यही कारण है कि बहुत से घायलों को इलाज के लिए अलीगढ़ और आगरा भेजा गया। इस तरह के दर्दनाक हादसे से प्रशासन सबक लेने को क्यों तैयार नहीं है? सरकार को इस पूरे मामले को सख्ती से निपटने की जरुरत है।