रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, उतना ही परमाणु हथियारों का खतरा बढ़ता जा रहा है। नाटो के देश लगातार यूक्रेन को हथियारों से सहयोग एवं समर्थन दे रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति ब्लादमिर पुतिन भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। वे परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की भी धमकी दे रहे हैं। हाल ही में रूस ने अमरीका के पड़ोसी देश क्यूबा के समुद्री क्षेत्र में अपने परमाणु बेड़े को तैनात किया है। इसके बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ना लाजिमी है। यह तनाव केवल रूस यूक्रेन के बीच ही नहीं है, बल्कि इजरायल ईरान के बीच लगातार तनातनी चल रही है। पूरी दुनिया इस वक्त विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। परमाणु हथियारों की बढ़ती तैनाती बड़े खतरे का संकेत दे रही है। स्वीडेन की थिंक टैंक सिपरी ने परमाणु हथियारों के बारे में अपनी ताजा रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन परमाणु हथियारों के विस्तार एवं आधुनिकीकरण पर सबसे ज्यादा जोर दे रहा है। चीन वर्ष 2030 तक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के क्षेत्र में अमरिका एवं रूस की बराबरी कर लेगा। पिछले वर्ष चीन ने करीब 90 परमाणु हथियारों का निर्माण किया है। इसके साथ ही चीन के पास परमाणु हथियारों की संख्या बढ़कर 500 हो गयी है। शीत युद्ध के बाद दुनिया के देश एटमी हथियारों को कम करने में लगे है, किंतु ऑपरेशनल परमाणु हथियारों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। चीन अपनी सामरिक शक्ति का तेजी से विस्तार कर रही है ताकि वह अमेरिका एवं रूस जैसी महाशक्तियों के समकक्ष आ सके। भारत के पास अभी तक कुल 172 परमाणु हथियार हो गये हैं। पिछले वर्ष भारत में 8 नये परमाणु बमों का निर्माण किया है। सिपरी के अनुसार दुनिया में अभी 12121 ऑपरेशनल परमाणु हथियार है, जिसमें 3904 परमाणु हथियार मिसाइल एवं विमानों पर तैनात है। यह सबको मालूम है कि दुनिया में जितने भी परमाणु हथियार है, उसमें 90 प्रतिशत हथियार केवल अमरिका और रूस के पास है। लेकिन चीन की बढ़ती महत्वकांक्षा भारत के लिए चिंता का विषय है। यही कारण है कि भारत मिसाइल के क्षेत्र में तेजी से काम कर रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल का अभी तक चीन के पास कोई जवाब नहीं है। इसी तरह भारत विभिन्न प्रकार के मिसाइलों का निर्माण कर रहा है ताकि भविष्य में ड्रैगन का मुकाबला किया जा सके। भारत-चीन सीमा पर पिछले कुछ वर्षों से लगातार तनाव बना हुआ है। गलवान में हुए झड़प के बाद से ही चीनी सीमा पर दोनों देशों की फौज आमने-सामने खड़ी है। चीन की नौसेने दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। भारत भी हिंद महासागर एवं दूसरी जगह चीन की बढ़ती चुनौती को देखते हुए अपनी नौसेना को उन्नत हथियारों से लैस करने में जुटा हुआ है। अभी भारत के पास दो विमान वाहक पोत है। भारत अब तीसरे पोत के निर्माण पर आगे बढ़ चुका है। भारतीय नौसेना अपने प्रोजेक्ट-75 के तहत स्पेन की कंपनी नवंतिया के साथ मिलकर 6 पनडुब्बी के निर्माण के लिए पहल कर चुका है। इन पनडुब्बीयों को एआईपी तकनीक से लैस किया जाएगा, ताकि पनडुब्बी को बार-बार इंधन के लिए पानी के ऊपर आना नहीं पड़े। इस तरह के पनडुब्बियों के निर्माण से भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ जाएगी। बढ़ते परमाणु खतरे को देखते हुए भी भारत अपनी तीनों सेनाओं को आधुनिक करने में लगा हुआ है। मिसाइस के क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत से चीन और पाकिस्तान जैसे देश चिंतित हैं। दुनिया में बढ़ता परमाणु खतरा मानव जाति के लिए शुभ संकेत नहीं है किंतु भारत को चीन की तरफ से बढ़ती चुनौती को देखते हुए अपने को तैयार रखना पड़ेगा।