वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है। भाजपा स्पष्ट बहुमत से 32 सीट पीछे रह गई है। लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 293 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिल गया है। अब इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सहयोगी दलों से विचार-विमर्श कर सरकार चलानी होगी। वर्ष 2014 एवं वर्ष 2019 की तरह भाजपा अपनी नीतियों को एकतरफा लागू नहीं कर पाएगी। इस बार की सरकार तेलुगू देशम पार्टी तथा जदयू के सहारे पर चलेगी। मालूम हो कि तेलुगू देशम पार्टी को 16 तथा जदयू को 12 सीटों पर विजय हुई है। उत्तर प्रदेश में भाजपा को करारा झटका लगा है। चुनाव परिणाम को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के गठन के क्षेत्र में देश के सभी राज्यों, जातियों का पूरा ख्याल रखा है। मोदी मंत्रिमडल में 25 स्वर्ण, 26 ओबीसी, 10 अनुसूचित जाति, पांच अनुसूचित जनजाति, पांच अल्पसंख्यक समाज से मंत्री बनाए गए हैं। प्रधानमंत्री को छोड़कर बाकी कुल 71 मंत्रियों में से 30 कैबिनेट स्तर, पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री तथा 36 राज्यमंत्री बनाए गए हैं। मंत्रिमंडल में सात महिला सांसदों क्रमशः निर्मला सीतारमण, अन्नपूर्णा देवी, अनुप्रिया पटेल, शोभा करंदलाजे, रक्षा खड़से, सावित्री ठाकुर एवं नीमू बेन बंगानिया हैं। मोदी मंत्रिमंडल में 43 ऐसे मंत्री हैं, जो तीन या तीन बार से अधिक बार संसद के रहस्य रह चुके हैं। 39 मंत्री पहले भी मंत्री रह चुके हैं। इस बार सात पूर्व मुख्यमंत्रियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। प्रधानमंत्र नरेंद्र मोदी पहले भी कह चुके हैं कि उनके तीसरे कार्यकाल में बड़े-बड़े निर्णय लिए जाएंगे। मंत्रिमंडल गठन से पहले ही उन्होंने अगले 125 दिन के लिए कार्यसूची भी तय कर दी है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा पश्चिम बंगाल से आशानुरूप चुनाव परिणाम नहीं आने से भी भाजपा चिंतित है। इस बार प्रधानमंत्री मोदी आम जनता की शिकायत खासकर मध्यम एवं उच्च मध्यम वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए मध्यम एवं उच्च मध्यर्म वर्ग के लोगों के हित का जिक्र किया था। मोदी के शपथ ग्रहण समारोह को बड़े स्तर पर पेश किया गया। पाकिस्तान को छोड़कर बाकी के सात पड़ोसी देशों को निमंत्रण भेजा गया था। श्रीलंका के राष्ट्रपति, भूटान के प्रधानमंत्री, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री, मालदीव के राष्ट्रपति, नेपाल के प्रधानमंत्री, सेशेल्स के उपराष्ट्रपति एवं मारीशस के प्रधानमंत्री ने शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत की थी। पड़ोसी नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित कर प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को यह दिखाने का प्रयास किया है कि भारत अपने पड़ोसियों को काफी तरजीह देता है। शपथ ग्रहण के साथ ही मोदी ने पड़ोसी देश से आए राष्ट्राध्यक्षों एवं शासनाध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठक कर कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए हैं। शपथ ग्रहण के दूसरे दिन ही प्रधानमंत्री ने किसान सम्मान निधि पर हस्ताक्षर किए। इस योजना के तहत देश के 9 करोड़ 30 लाख किसानों के खातों में दो हजार रुपए पहुंच जाएंगे। इस बार सरकार को 20 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस बार सरकार तेजी के साथ जन कल्याण योजनाओं पर काम करेगी, क्योंकि हरियाणा, बिहार सहित कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लोकसभा चुनाव में इस बार विपक्षी दलों को पहले से ज्यादा सीटें मिली हैं। इसको लेकर विपक्षी दलों के हौसले सातवें आसमान पर हंै। अब विपक्षी दल आगे सरकार के लिए चुनौती पेश करेगा। इसको देखते हुए मोदी सरकार पहले से चौकन्ना हो गई है। जिन राज्यों में भाजपा को झटका लगा है, वहां पार्टी नई रणनीति के साथ काम करेगी। मोदी के तीसरे कार्यकाल में गठबंधन की सरकार है। उसको देखते हुए कई मोर्चे पर भाजपा को समझौता करना पड़ेगा। अगला कुछ महीना मोदी सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। उस दौरान यह पता चलेगा कि सहयोगी पार्टियां भाजपा को कितना सहयोग कर रही है।