वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी रविवार को लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। तब और अब में अंतर यह कि पिछले दो कार्यकालों में भाजपा को अकेले बहुमत प्राप्त था यानी पार्टी के पास अकेले 272 से अधिक सांसद थे, जबकि इस बार पार्टी के महज 240 सांसद हैं, जो बहुमत से 32 कम हैं,परंतु एनडीए के पास पर्याप्त बहुमत है और उसी के बल पर मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। इस बार मोदी का कार्यकाल कैसा रहेगा, फिलहाल यह भविष्य के गर्भ में है। दूसरी ओर भाजपा के लिए सबसे दुखद यह रहा कि वह अयोध्या की सीट हार गई। उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरुआत में अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन हुआ।
देश भर में उस आयोजन से जुड़े इतिहास और वर्तमान को जन-जन तक पहुंचाने की तैयारियां हुईं तो ये साफ लग रहा था कि बीजेपी इस बार अपना चुनाव इसी मुद्दे को केंद्र में रखकर लड़ेगी और जीतेगी। यह मुद्दा अचानक चुनावी मुद्दे से तो दूर हो गया, हालांकि बीजेपी के नेता गाहे-बगाहे इसका श्रेय लेते रहे लेकिन जनता ने इस निर्माण का श्रेय लेने के बीजेपी के तरीके को शायद पसंद नहीं किया। नतीजा यह हुआ कि न सिर्फ अयोध्या वाली फैजाबाद सीट बीजेपी हार गई बल्कि अवध क्षेत्र की उन तमाम सीटों से उसे हाथ धोना पड़ा, जहां उसने पिछले दो चुनावों में जीत हासिल की थी।
फैजाबाद मंडल की तो सभी पांचों लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की हार हुई। ऐसा नहीं था कि चुनाव से पहले बीजेपी की हार की आहट नहीं थी। वास्तव में फैजाबाद सीट की बात की जाए तो यहां के सामाजिक समीकरण बीजेपी को इस मायने में कमजोर कर रहे थे कि उसके उम्मीदवार के खिलाफ इंडिया गठबंधन की ओर से समाजवादी पार्टी ने अवधेश प्रसाद को खड़ा किया था। अवधेश प्रसाद फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत ही आने वाले मिल्कीपुर विधानसभा से विधायक हैं और नौ बार विधायक रह चुके हैं और मंत्री भी रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर अवधेश प्रसाद ने 54 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की है। इस लोकसभा के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से चार सीट पर सपा को बढ़त मिली। सिर्फ अयोध्या विधानसभा सीट पर ही बीजेपी के लल्लू सिंह बढ़त बना सके,जबकि दो साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में इनमें से मिल्कीपुर को छोड़कर सभी विधानसभा सीटों को बीजेपी ने जीता था।
मिल्कीपुर सुरक्षित सीट से सपा के अवधेश प्रसाद जीते थे जो अब फैजाबाद के सांसद बन गए हैं। बीजेपी की इस हार के पीछे यूं तो कई कारण हैं लेकिन सबसे प्रमुख कारणों में से एक खुद निवर्तमान सांसद लल्लू सिंह ही हैं। एक तो चार सौ पार के नारे को लेकर वो खुद इतने आश्वस्त थे कि जनता तो वोट देगी ही,दूसरी ओर ये कहकर उन्होंने बीजेपी को दूसरी जगहों पर भी नुकसान पहुंचाया कि चार सौ पार का नारा इसलिए दिया गया है ताकि संविधान बदला जा सके। उनके इस बयान को विपक्ष ने लपक लिया (कैच कर लिया) और बीजेपी के खिलाफ एक नैरेटिव ही गढ़ डाला जो काफी असरकारी रहा। दूसरी ओर अयोध्या के जातीय समीकरणों को समझते हुए समाजवादी पार्टी ने जिस दूरदर्शिता के साथ एक सामान्य सीट पर दलित उम्मीदवार को उतारा, वह रणनीति पूरी तरह से कामयाब रही। अयोध्या में दलित और पिछड़े मतदाताओं की संख्या करीब 45 फीसद है। अवधेश प्रसाद दलित समुदाय की उस पासी जाति से आते हैं जिसकी संख्या यहां सबसे ज्यादा है।
कहा जा रहा है कि विकास के नाम पर आम आदमी को उसके घर-दुकान छोड़ने को मजबूर किया गया, रोजी-रोटी छीनी गई ये उसका असर है। लोग यहां कई पीढ़ियों से रह रहे थे लेकिन उन्हें उजाड़ दिया गया। यह भी नहीं सोचा कि ये लोग कहां जाएंगे। हालांकि अयोध्या सीट पर तो बीजेपी को बढ़त जरूर मिली लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो इसका असर अयोध्या ही नहीं, पूरे अवध क्षेत्र पर पड़ा। कई दुकानदार ऐसे थे जिनका घर आस-पास था लेकिन रोजगार यहां करते थे।