पूर्वांचल प्रहरी स्टाफ रिपोर्टर 

कार्डियक विज्ञान के क्षेत्र में हालिया तरक्की ने कार्डियक रोगों के कुछ मामलों में तेज वृद्धि के बावजूद मरीजों को नया जीवन दिया है। हाल के दिनों में ओपन-हार्ट सर्जरी के बगैर मरीज का ऑपरेशन करना न सिर्फ सबसे आधुनिक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, बल्कि सबसे जटिल मामलों में भी इससे सफल इलाज संभव हो गया है। मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में कार्डियक साइंसेज के चेयरमैन डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि देश में  हृदय रोग के कम से कम 50 फीसदी मामले अन्य बीमारियों और अकाल मृत्यु से जुड़े होते हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि 25-40 साल की उम्र के लोगों में हृदय रोग का खतरा बढ़ने लगा है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर चार में से एक मौत मामूली लक्षणों की अनदेखी करने से होती है और हृदय रोग 25 से 35 साल की उम्र की महिलाओं व पुरुषों में मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है।  हार्ट अटैक के लक्षण 20 साल और 30 साल की उम्र के दौरान ही पता चल जाते हैं और 40 की उम्र तक आते-आते यह जानलेवा साबित हो जाता है। ऐसा ही एक मामला गुवाहाटी के 26 वर्षीय मरीज से जुड़ा है जिसे दो बार बेहोशी और आंखों के आगे अंधेरा छाने के लक्षणों के बाद अस्पताल लाया गया। डॉ. सिंह और उनकी टीम ने हाल ही में विश्व के सबसे छोटे पेसमेकर माइक्रो एवी प्रत्यारोपित कर उत्तर भारत में सबसे पहली टीम बनने का श्रेय हासिल किया है। इस क्षेत्र में पेसमेकर टेक्नोलॉजी से भी जबर्दस्त तरक्की आई है। विश्व में यह सबसे छोटा पेसमेकर है जिसकी बैटरी लाइफ 15 साल रहती है, वजन सिर्फ 15 ग्राम होता है और इसमें दो चैंबर क्षमताएं हैं। अभी तक भारत में यह दो अन्य अस्पतालों में ही प्रत्यारोपित किया गया है।