हिन्दी पंचांग का दूसरा महीना वैशाख अब शुरू हो चुका है और यह 23 मई तक चलेगा। इस पूरे महीने को हिन्दू धर्म में धर्म-कर्म और पुण्य अर्जन के लिए बेहद शुभ माना गया है। इस बार वैशाख में दो प्रमुख तिथियाँ—अक्षय तृतीया (10 मई) और बुद्ध पूर्णिमा (23 मई)—विशेष धार्मिक महत्त्व रखती हैं।
सूर्य के प्रभाव से बढ़ेगी गर्मी, दान का महत्व अधिक
वैशाख के दौरान सूर्य अपने चरम प्रभाव में होता है, जिससे गर्मी भी अधिक होती है। यही कारण है कि इस महीने में जल और छाया का दान विशेष फलदायी माना गया है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, वैशाख में किया गया जल दान अक्षय पुण्य प्रदान करता है—यानी ऐसा पुण्य जो कभी समाप्त नहीं होता और जीवन भर शुभ फल देता है।
शास्त्रों में वैशाख को क्यों कहा गया है श्रेष्ठ महीना?
धार्मिक ग्रंथों में वैशाख माह को सभी महीनों में श्रेष्ठ बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार—
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विद्याओं में वेद श्रेष्ठ हैं
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मंत्रों में प्रणव (ॐ)
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वृक्षों में कल्पवृक्ष
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गायों में कामधेनु
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देवताओं में भगवान विष्णु
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नदियों में गंगा
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अस्त्रों में सुदर्शन चक्र
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धातुओं में सोना
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रत्नों में कौस्तुभ मणि
इसी तरह महीनों में वैशाख को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।
धार्मिक गतिविधियों का समय
वैशाख मास में व्रत, पूजा-पाठ, नदी स्नान, गाय दान, और संत सेवा जैसे कार्य करने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है। विशेष रूप से अक्षय तृतीया पर किया गया कोई भी शुभ कार्य कई गुना फल देता है।