हमारी तेजी से बदली लाइफ स्टाइल की वजह से पिछली एक सदी में दुनिया की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। प्राकृृतिक संसाधन सीमित होने के बावजूद इसका अतिदोहन किया जा रहा है और ये सिलसिला बदस्तूर जारी है। प्रकृृति के साथ लगातार छेड़छाड़ का असर भी अब ग्लोबल वॉर्मिंग, भूकंप सहित अन्य प्राकृृतिक आपदाओं के तौर पर सामने आने लगा है। ऐसे में जरूरी है कि अब हम सब मिलकर अपनी आदतों में कुछ बड़े बदलाव करें जिससे पृथ्वी की रक्षा हो सके और हमारी आने वाली पीढ़ियों को एक हरी-भरी और खुशहाल धरती मिल सके। दुनिया में पिछली एक सदी में जितनी तरक्की हुई है वो पिछले हजार सालों में हुई तरक्की से भी ज्यादा है। हमारी इस तरक्की ने हमारे भौतिक जीवन को तो आसान बना दिया है, लेकिन तरक्की की इस चकाचौंध में हमने प्रकृृति के साथ जो अन्याय किया उसे अनदेखा कर दिया। इसका खामियाजा अब हमें उठाना पड़ रहा है। ऐसे में अब धरती को बचाने के लिए वक्त आ गया है कि हम अपनी जीवनचर्या में बदलाव करें। इसके लिए अब प्राकृृतिक संसाधनों के ज्यादा दोहन करने की बजाय चीजों के रिसाइक्लिंग और अपसाइक्लिंग को अपनाने का वक्त आ गया है।
इसके साथ ही वेस्ट कम करना, ऑर्गेनिक की तरफ जाना, इको फ्रेंडली सामानों का उपयोग लाइफ स्टाइल में शामिल करना जरूरी हो गया है। दुनियाभर में पिछले कुछ वक्त में साफ पानी की भारी कमी देखने को मिली है। कई लोग तो ये मानते हैं कि धरती पर तीसरा विश्व युद्ध पानी की वजह से होगा। इससे पानी के महत्व को समझा जा सकता है। ऐसे में अब जल संरक्षण के लिए खुद जागरूक होने के साथ ही लोगों को भी अवेयर करने का वक्त आ गया है। पानी का बर्बादी रोकने के लिए अपनी पुरानी छोटी-छोटी आदतों में बदलाव करें। नल को ठीक से बंद करें। बेवजह पानी खर्च न करें। पानी को सही तरीके से स्टोर करें। अब हमें ऊर्जा उत्पादन के पारंपरिक साधनों से हटकर ग्रीन एनर्जी की तरफ जाना जरूरी है। पारंपरिक साधन प्रदूषण को काफी बढ़ाते हैं। हमारा देश दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उपभोक्ता है। हम इसके लिए कोयला, तेल और नेचुरल गैसों पर निर्भर रहते हैं जो कि वायु प्रदूषण को बढ़ाने में काफी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
हम जितना बिजली को बर्बाद करेंगे उतना ही प्रकृृति को नुकसान पहुंचेगा। ऐसे में जरूरी है कि हम तेजी से ग्रीन एनर्जी की ओर जाएं तो बिजली को बर्बाद करने की आदत में बदलाव लाएं। वायु प्रदूषण के मामले में भी हम काफी आगे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश की राजधानी सहित कई प्रमुख शहरों में एयर पॉल्यूशन काफी ज्यादा है। इससे हम खुली हवा में सांस तक नहीं ले पाते हैं। इसका सीधा असर हमारे पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। ऐसे में आवश्यक है कि हम कम से कम निजी गाडç¸यों का इस्तेमाल करें। पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर फोकस करें और जरूरत होने पर ही निजी गाडç¸यों का प्रयोग करें। हमारी लाइफ स्टाइल ने धरती की ऐसी किसी जगह को नहीं छोड़ा है जहां मानव निर्मित कचरा नहीं पहुंचा हो। जमीन के साथ ही समुद्र भी कचरे का डंपिंग सेंटर बनता जा रहा है जो पूरे समुद्री इको सिस्टम को बिगाड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि हम कम से कम कचरा फैलाएं और ऐसी चीजों का प्रयोग करें जो रिसाइकिल हो सके। इसके साथ ही वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण को रोकने के लिए गीले और सूखे कचरे का प्रबंधन सही तरीके से करें।