पर्यावरण संरक्षण से हमारा तात्पर्य यह है कि हमारे आसपास का वातावरण, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, हवा, पानी अर्थात संपूर्ण प्रकृति चाहे वह जड़ हो या चेतन, मनुष्य का प्रकृृति से गहरा संबंध रहा है या हम यह भी कह सकते हैं कि प्रकृृति और मनुष्य एक दूसरे के पूरक हैं। पर्यावरण के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हम सब आजकल अपने आसपास देख रहे हैं अपने बड़े-बड़े शहरों में देखते हैं कि आधुनिक जीवन की आपाधापी ने लोगों के पास हंसने मुस्कुराने का भी समय नहीं छोड़ा है कारण केवल एक ही है हमने प्रकृृति का शोषण किया है दोहन नहीं। आप पहाड़ों में घूमने जाते होंगे, पहाड़ों में आपको क्या मिलता है नदी- नाले बहती हुई नदियां, कल-कल करते पक्षी, पेड़-पौधे, बर्फ से लिपटी हुई पहाड़ियों की चोटियां पक्षियों की चहचाहट, शुद्ध वातावरण, इसको देख कर आपका मन स्वतः ही प्रफुल्लित हो जाता है। आप में नई ऊर्जा का संचार होता है।
वहां आपको यह कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती कि शाम को आप पार्क में आइए लाफिग क्लब में जोर जोर से हंस लेंगे। क्योंकि वातावरण शुद्ध है लोगों ने प्रकृृति का संरक्षण किया हुआ है पर्यावरण का संरक्षण किया हुआ है। लोग जिन्हें आदिवासी कहते हैं, आज भी जंगलों में रहते हैं। वह प्रकृृति से उतना ही लेते हैं जितनी उनकी आवश्यकता होती है। अब हम बात करते हैं प्रकृृति के संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण की। पर्यावरण संरक्षण का उतना ही महत्व है जितना मानव जीवन का। इसके लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और पेड़ों की रक्षा वैसे ही करनी चाहिए जैसे हम अपने बच्चों की करते हैं। ऐसी वस्तुओं का प्रयोग कम से कम करें जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो।
जैसे विषैली गैसें पर्यावरण में ना छोड़ें। प्लास्टिक का प्रयोग न करें। हमें जन आंदोलन की तरह इसे लेना होगा। हमें अपने अंतःकरण से आवाज आनी चाहिए कि हमें पर्यावरण को बचाना है उसको संरक्षित करना है ताकि आने वाली पीढ़ी की रक्षा की जाए अर्थात हम उन्हें विरासत में क्या दें करके जाएंगे हमारा प्रयास यही होना चाहिए कि हम उन्हें विरासत में एक स्वच्छ वातावरण दें, एक शिक्षक होने के नाते हम अपने विद्यालय में भी जब भी किसी का जन्मदिन आता है उसे पेड़ भेंट करते हैं। सप्रेम भेंट, और कहते हैं कि बेटा जाइए इसे संरक्षित कीजिए। इसे अपनी वस्तु समझकर अपने मानव जीवन का अमूल्य अंग समझकर इसकी रक्षा करना। पेड़ जितने ज्यादा होंगे वातावरण उतना ही स्वच्छ, सुंदर, शांत होगा। आइए पर्यावरण संरक्षण का प्रण लें।