इंसान के पास बिजली पैदा करने के बहुत सारे साधन हैं, लेकिन फिर वह बिजली बनाने के नए साधनों पर खोज करता रहता है। ताजा शोध में अब वैज्ञानिकों ने अपने तरह का पहला 3 डि प्रिंट उपकरण बनाया है जो हिमपात से बिजली पैदा कर सकता है।
क्या खासियत है इस उपकरण कीः यह उपकरण अमेरिका में लॉसएंजेलिस की कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने डिजाइन किया है। यह उपकरण बहुत ही सस्ता, छोटा, पतला और प्लास्टिक की शीट की तरह लचीला है। नैनो एनर्जी जर्नल में प्रकाशित इस शोध के वरिष्ठ लेखक और उस्ला के रिचर्ड कानेर ने बताया कि यह उपकरण दूर दराज के इलाकों में उपयोगी हो सकता है क्योंकि यह खुद ही ऊर्जा पैदा करता है और इसे चलाने के लिए बैटरियों तक की जरूरत नहीं होती है।
कैसे काम करता है यहः इस उपकरण का नाम बर्फ पर आधारित ट्राइबोइलेक्टि्रक नैनोजनरेटर है या इसे स्नो टेंग भी कह सकते है। यह स्थिर विद्युतकी से आवेश पैदा करता है और उससे इलेक्ट्रोन की अदलाबदली से ऊर्जा पैदा करता है। कानेर ने बताया कि स्थिर विद्युतकी इलेक्ट्रॉन पकड़ने वाल एक पदार्थ की दूसरे पदार्थ के साथ हुई अंतरक्रिया से पैदा होती है जिसमें इलेक्ट्रॉन का आदान प्रदान होता है।
बर्फ और सिलिकोन बनाते हैं बिजलीः कानेर ने कहा कि आप आवेश को अलग रखते हैं और कुछ नहीं की सी स्थिति से बिजली पैदा कर लेते हैं। यहां पर गिरती बर्फ सकारात्मक आवेश से भरपूर होती है और वही इलेक्ट्रान प्रदान करती है। वहीं दूसरा पदार्थ यहां एक सिलिकोन होता है जो एक सिंथेटिक रबर जैसे पदार्थ होता है। यह सिलिकोन और ऑक्सीजन को परमाणुओं से बना होता है जिसमें कार्बन हाइड्रोजन और दूसरे पदार्थ मिले होते हैं, लेकिन कुल मिला कर यह नकारात्मक आवेश का होता है।
यूं होता है इलेक्ट्रॉन का आदान प्रदानः जब बर्फ गिरकर सिलिकोन की सतह से टकाराती है, इससे आवेश पैदा होता जो यह उपकरण पकड़ लेता है जिससे बिजली पैदा हो जाती है। उस्ला के एक शोधकर्ता माहेर अल कादे ने बताया कि बर्फ तो पहले से ही आवेशित होती है तो हमने सोचा कि क्यों न ऐसा पदार्थ लाया जाए जिसका आवेश विपरीत हो और ऐसे में बिजली पैदा हो सकती है। बर्फ इलेक्ट्रॉन देना पसंद करती है। लेकिन उपकरण का कार्यनिष्पादन दूसरे पदार्थ की इलेक्ट्रॉन लेने की क्षमता पर निर्भर करता है।