मौसम का पूर्वानुमान विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी की एक ऐसी शाखा है जिसमें किसी स्थान के वायुमंडलीय दशाओं की वैज्ञानिक भविष्यवाणी की जाती है।मौसम से संबंधित पूर्वानुमानों की अनिश्चितता के कारण लोगों के दिमाग में अक्सर यह सवाल पैदा होता है कि मौसम का सही-सही अनुमान क्यों नहीं लगाया जा सकता है या मौसम का पूर्वानुमान कैसे किया जाता है? पिछले कुछ समय से भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने समुद्री चक्रवातों और तूफानों का सटीक आकलन करना प्रारंभ कर दिया है. जिससे ना केवल करोड़ों-अरबों रूपए की राष्ट्रीय संपत्ति का कम-से-कम नुकसान हुआ है, बल्कि जान-माल का भी कम-से-कम नुकसान हुआ है। मौसम का पूर्वानुमान किसी स्थान पर वर्तमान वायुमंडलीय अवस्था के मात्रात्मक आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। इन आंकड़ों का वायुमंडलीय प्रक्रिया के आधार पर वैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण किया जाता है ताकि यह भविष्यवाणी की जा सके कि आगे आने वाले समय में उस स्थान पर वायुमंडल में किस तरह के परिवर्तन हो सकते हैं। वर्तमान समय में मौसम का पूर्वानुमान पूरी तरह से कंप्यूटर द्वारा प्राप्त किए गए आंकड़ों पर आधारित होता है। फिर भी ऐसा नहीं है कि मौसम संबंधी सभी पूर्वानुमान सही ही होते ह।
मौसम का पूर्वानुमान करनाः मौसम पूर्वानुमान के आरंभिक चरण में मौसम और मौसमी आंकड़ों से संबंधित सूचनाएं प्राप्त की जाती है। भूमि की सतह के साथ ही विश्वभर में दिन में दो बार छोड़े जाने वाले गुब्बारों की मदद से वायुमंडल की विभिन्न ऊंचाइयों पर तापमान, दाब, आर्द्रता और हवा की गति संबंधी आंकड़े प्राप्त किए जाते हैं। मौसम पूर्वानुमान के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का भी उपयोग किया जाता है। उपग्रहों के जरिए अलग-अलग समय में बादलों की स्थिति के आधार पर हवा और बादलों की गति तथा वायुमंडल की विभिन्न ऊँचाइयों पर तापमान और आर्द्रता के बारे में पता लगाया जाता है। मौसम पूर्वानुमान में डॉप्लर रडार का भी उपयोग होता है। डॉप्लर रडार में डॉप्लर प्रभाव को आधार बनाकर हवा की गति मापी जाती है। वैज्ञानिकों ने डॉप्लर रडार के माध्यम से टॉरनेडो और हरिकेन जैसे तूफान के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की है। वर्तमान में सभी मौसम पूर्वानुमान कंप्यूटर पर आधारित वायुमंडल के संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडलों द्वारा प्राप्त किए जाते हैं।