गुवाहाटी : हिंदी दिवस के मौके पर फैंसी बाजार स्थित मारवाड़ी हिंदी पुस्तकालय में ‘हिंदी भाषा साहित्य एवं हिंदी पुस्तकालय का भारत के स्वतंत्र संग्राम में योगदान’ विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में कॉटन महाविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अमूल्य बर्मन उपस्थित थे। पुस्तकालय के अध्यक्ष रवि अजीतसरिया की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम संयोजिका सरोज देवी जालान ने कार्यक्रम की उद्देश्य व्याख्या करते हुए की। शुरुआत संदीप चमड़िया की एक कविता से किया गया। अध्यक्ष रवि अजीतसरिया ने स्वागत भाषण देते हुए पुस्तकालय के इतिहास के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। इस अवसर पर मंच पर पुस्तकालय के निवर्तमान अध्यक्ष नारायण खाखोलिया भी उपस्थित थे। मुख्य वक्ता डॉ. अमूल्य बर्मन ने कहा कि इस समय हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, जो एक सौ सालों में एक बार ही आता है। पुराणों में समुद्र मंथन के प्रसंग में यह उल्लेख है कि अमृत को पाने के लिए भगवान शिव ने कालकूट विष का पान किया था। इसी तरह आजादी के लिए आजादी का अमृत पाने के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत ही कष्ट किया था। अगर आज हमें स्वतंत्रता नहीं मिलती तो हिंदी गौण भाषा भी नहीं बनी रह सकती थी। मगर आजादी के मतवालों ने हमें आजादी दिला कर हिंदी को भी राष्ट्र में सम्मान दिलाया। हिंदी दिवस के उपलक्ष में कवि रतन अग्रवाल, पोएट्री खाखोलिया, हरकीरत कलसी, मंजू लता शर्मा, कांता अग्रवाल ने हिंदी में कविता पाठ किया। इसके अलावा ओंकार पारीक ने अपने संबोधन में 400 साल के मारवाड़ी समाज के हिंदी में अवदान के बारे में बताया। वहीं मधु महेश्वरी, डॉ. ओपी गुप्ता, घनश्याम लड़िया, शशि भातरा के अलावा अन्य कई सदस्यों ने अपना संबोधन दिया। इस अवसर पर सविता जोशी, संतोष बैद, गोपी किशन जोशी, पुष्पा खेमका, दिनकर कुमार, किशोर काला जैन, अंशु सरड़ा, सुशील सराफ, हरिप्रसाद गोयंका, दीपाली सोढ़ी स्मिता जिला धीरासरिया उपस्थित थी। सविता जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
मारवाड़ी हिंदी पुस्तकालय में मना हिंदी दिवस
