हमारा खान-पान ऐसा हो गया है कि कम उम्र में ही पाचन संबंधी परेशानियां अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं। गैस पाचन संबंधी विकारों में सबसे ज्यादा कॉमन है, जिसकी वजह से सीने में जलन, पेट और गले में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर आप को हफ्ते में दो से तीन बार गैस की समस्या रहती है तो आपको गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं जिसका इलाज कराने की जरूरत है।
एसिडिटी के कॉमन लक्षणः पेट की समस्या होना, खासकर खाली पेट मतली होना। उलटी या फिर उल्टी आना। पेट का फूलना जिसे स्टोमक ब्लोटिंग भी कहते हैं। स्टूल पास करने में परेशानी होना, कभी कब्ज तो कभी लूज मोशन होना। भूख कम लगना।
आप भी अगर एसिडिटी से परेशान है और अपने अंदर इसके लक्षण महसूस कर रहे हैं तो हम आपको एसिडिटी को नियंत्रित करने के दीर्घकालिक लाभ के लिए घरेलू उपचार की जानकारी दे रहे हैं जिन्हें अपना कर आप गैसे से निजात पा सकते हैं।
अजवाइनः अजवाइन लंबे समय से गैस्टि्रक असुविधा को कम करने और पाचन को मजबूत बनाने में मदद करती है। अजवाईन में एक सक्रिय संघटक थाइमोल पाया जाता है जो पाचन को मजबूत करने में मदद करता है।
सौंफः भोजन के बाद एक चुटकी सौंफ भारतीय परंपरा का एक सामान्य हिस्सा है। यह मुंह की गंध को कम करती है साथ ही पाचन में भी मदद करती है। सौंफ और मिश्री का मिश्रण पाचन के लिए बेहतर है।
दूध और दही का सेवनः दूध एसिडिटी से राहत दिलाने में अहम रोल निभाता है। कमरे के तापमान पर रखा हुआ दूध एसिडिटी से राहत दिलाता है। दूध एक प्राकृृतिक एंटासिड है, कैल्शियम लवण से भरपूर दूध एसिड को बेअसर करता है। दूध की तरह दही एसिडिटी को नियंत्रित करने का एक बेहतरीन तरीका है।
शहद का सेवन करेंः कई अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि एक चम्मच शहद को गर्म पानी के साथ लिया जाए तो पाचन दुरुस्त रहता है। अगर शहद में थोड़ा सा नींबू भी मिलाकर सेवन किया जाए तो यह क्षारीय एजेंट बन जाता है और पेट में एसिड के असर को बेअसर करता है।
फ्रूट्स का सेवन करेंः वैसे तो सभी फ्रूट्स सेहत के लिए फायदेमंद हैं। फ्रूट्स में भी सिट्रस फ्रूट क्षार बनाते हैं। जो हमारे पाचन को दुरुस्त रखते हैं। फ्रूट्स में फाइबर भरपूर होता है जो हमारी सेहत और पाचन को दुरुस्त करते हैं। दिन में दो तरह के फ्रूट्स आपकी सेहत और पाचन को बेहतर बनाते हैं।