आज कल हर एक पेरेंट्स लगभग अपने बच्चों के हाथों में मोबाइल बड़ी आसानी से दे देते हैं। जिससे वो और कामों पर ध्यान लगा पाएं। इंटरनेट हमारी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन चुका है। लेकिन देखते ही देखते ये बच्चों की जिंदगी का भी सबसे जरूरी हिस्सा बन गया है। आज कल 3 से 4 साल के बच्चों के हतहों में मोबाइल होता है। जिससे कम उम्र में ही उनकी आखें कमजोर हो जाती हैं। उनको टेक्नोलॉजी की इतनी आदत हो जाती है कि आज कल कोई भी बच्चा बिना मोबाइल के नहीं रहता। अगर आपका बच्चा मोबाइल फोन नहीं छोड़ता तो यहां कुछ टिप्स हैं जिनको अपना कर आप अपने छोटे से बचे के हाथों से आसानी से फोन ले सकती हैं। ताकि उनको बाहर की चीजों के बारें में भी पता चले।
बच्चों को सेलफोन की आदत कैसे छुड़ाएं :
किताबों कहानियों का शौक जगाएं : इंटरनेट के जमाने में किताबों से दूरी होना आम बात हो गई है। पहले बचे दादी नानी से कहानियां सुनकर सोते थे। लेकिन आजकल बचे मोबाइल देखते देखते सो जाते हैं। अगर आप खुद बच्चों के सामने किताब पढ़ेंगे तो बच्चे भी नकल करते हुए किताब उठा लेंगे, आप कुकिंग से रिलेटेड बुक पढ़ सकते हैं या जिस विषय पर आपको जानना हो आप वो थोड़ी देर के लिए पढ़ सकती हैं। ताकि आपका बच्चा भी वैसा ही करे। अपने बच्चों को कहानियां सुनने की आदत डालें।
प्रकृति से प्यार बढ़ाएं : बच्चों को आप जितना प्रकृति के करीब लाएंगे वो उतना ज्यादा मोबाइल फोन से दूर होंगे। उन्हें जरूर बताएं कि नैचुरल चीजों की हमारी जिंदगी में क्या अहमियत है। उन्हें पार्क में खिलाने ले जाएं। घर पर छोटी किड्स पार्टी करें। ताकि उनका ध्यान फोन से दूर रहे।
आउटडोर गेम्स खेलने को कहें : कोरोना वायरस महामारी के बाद लॉकडाउन के कारण बच्चे लंबे वक्त तक घरों में कैद रहे, जिसकी वजह से उन्हें मोबाइल की आदत हो गए। इस दौरान ऑनलाइन लर्निंग में सेलफोन का इस्तेमाल मजबूरी बन गई। ऐसे में पैरेंट की जिम्मेदारी है कि उन्हें आउटडोर गेम्स खिलने ले जाएं।
बच्चों को समझाएं : अपने बच्चों को आप मोबाइल के बारें में अच्छी और बुरी बातें भी समझाएं। बचा जब कुछ गलत करता है तो वो अपने मां बाप की ओर देखता है। उसके अच्छे के लिए आप उन्हें मोबाइल के साइड एफेक्ट के बारें में भी बताएं। ताकि उन्हें समझ आए कि मोबाइल इस उम्र में हानिकारक है।