भारतीय सनातन धर्म में पापमोचनी एकादशी तिथि अपने आप में शुभ फलदायी मानी गई है। विशेष तिथियों पर पूजा-अर्चना करके सर्वमनोकामना पूरी की जाती है, इसी क्रम में चैत्र कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि की विशेष महत्ता है। पुराणों के अनुसार पापमोचनी एकादशी को व्रत रखना बेहद लाभकारी माना गया है। प्रख्यात ज्योतिषविद्  विमल जैन ने बताया कि चैत्र कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि पापमोचनी एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस बार चैत्र कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि 27 मार्च, रविवार को सायं 6 बजकर 05 मिनट पर लगेगी जो कि 28 मार्च, सोमवार को सायं 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में एकादशी तिथि मिलने से 28 मार्च, सोमवार को यह व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि के दिन सिद्धयोग बन रहा है, जो कि सायंकाल 5 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। एकादशी तिथि भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित है। भगवान श्रीहरि विष्णु का चतुर्भुज स्वरूप में पूजा करने का विधान है। पापमोचनी एकादशी की खास महिमा है, जैसा कि तिथि के नाम से विदित है। संसार में कोई भी ऐसा मनुष्य नहीं है जिससे जाने-अनजाने कोई पाप न हुआ हो, पाप एक प्रकार की गलती है, जिसका दंड हमें भोगना ही पड़ता है। ईश्वरीय विधान के अनुसार पाप के दंड से बचा जा सकता है। पापमोचनी एकादशी तिथि के दिन संपूर्ण दिन व्रत उपवास रखने से चंद्रमा एवं अन्य ग्रहों की प्रतिकूलता से बचा जा सकता है, साथ ही जीवन के समस्त पापों से मुक्ति भी मिलती है। निर्जल एवं निराहार रहकर भगवान श्रीहरि विष्णु जी की भक्तिभाव एवं हर्षोल्लास के साथ पूजा-अर्चना करना विशेष फलदायी बताया गया है।

ऐसे करें व्रत-पूजा : विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को एकादशी तिथि के एक दिन पूर्व दशमी तिथि को मानसिक रूप से किए जाने वाले व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर गंगा-स्नानादि करना चाहिए। गंगा-स्नान यदि सम्भव न हो तो घर पर ही स्वच्छ जल से स्नान करना चाहिए।

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