भारत रक्षा से संबंधित अपनी ज्यादातर जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा है। भारत के ज्यादातर हथियार एवं उपकरण रूस से खरीदे जाते रहे हैं। लेनिक नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत ने अपनी जरूरत के हिसाब से रूस के अलावा इजरायल, अमरीका तथा फ्रांस जैसे देशों से विमान, हेलीकॉप्टर एवं ड्रोन खरीदना शुरू किया। चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख में की गई घुसपैठ के बाद भारत ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। उसका कारण यह है कि भारत और चीन दोनों ही रूस से हथियार खरीदते रहे हैं। अब भारत और चीन के बीच बढ़े टकराव के बाद भारत को ऐसे हथियारों की जरूरत महसूस होने लगी जो उसे चीन पर रणनीति बढ़त दिला सकें। ऐसे में भारत को अमरीका सहित पश्चिमी देशों की जरूरत महसूस हुई । दूसरी बात यह है कि अमरीका तथा फ्रांस ने भारत को अविलंब हथियार उपलब्ध कराने का वादा भी दिया। इस संकट की घड़ी में इजरायल जैसा देश खुलकर भारत के साथ आया। जिसने बिना शर्त हथियार, सैन्य उपकरण एवं गोला बारूद उपलब्ध करवाया। चीन के साथ पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चल रही तनातनी वर्ष 2020 से जारी है। चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ रही चुनौती के बीच मोदी सरकार  भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। हाल ही में रूस के सहयोग से उन्नत राइफल का निर्माण भारत में शुरू करने के लिए दोनों देशों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 351 रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध करने की घोषणा की है। इसमें कई उप-रक्षा प्रणालियां एवं रक्षा उत्पादन के घटक शामिल हैं। पिछले सोलह महीनों के दौरान रक्षा मंत्रालय ने ऐसी तीसरी सूची जारी की है। अगले वर्ष दिसंबर तक 172 रक्षा उपकरणों, दिसंबर 2023 तक 89 रक्षा उपकरणों तथा दिसंबर 2024 तक 90 रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लग जाएंगे। रक्षा मंत्रालय ने 2500 वस्तुओं की एक और सूची जारी की है जिसका पहले से ही स्वदेशीकरण हो चुका है। उन्नत मिसाइलों निर्माण के क्षेत्र में भी भारत एक के बाद एक परीक्षण करता जा रहा है जो भारत को चीन पर बढ़त दिला रही है। डीआरडीओ ने इस क्षेत्र में काफी काम किया है जिससे भारत का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है।  सेना के तीनों अंगों के आधुनिकीकरण का काम भी काफी तेजी से चल रहा है। हथियारों एवं सैन्य साजो-सामान को भारत में बनाने के साथ-साथ मोदी सरकार ने पाकिस्तान और चीन की सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। भारत की सैन्य तैयारियों को मजबूती प्रदान करने के लिए राजनाथ सिंह ने 24 पुलों एवं 3 सड़कों का उद्घाटन किया है जिससे सेना के आवागमन में आसानी होगी। चीन पहले से ही सीमा पर बुनियादी ढ़ांचे को विकसित कर लिया है जिससे भारत की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में भारत चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहा है। अब तो भारत विमानों, मिसाइलों एवं रक्षा उपकरणों के निर्यात के क्षेत्र में कदम भी आगे बढ़ा चुका है।