हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों में इस पर्व भी कहा गया है। ये दोनों तिथियां चंद्रमा की कलाओं पर आधारित होती है।  इस बार साल का आखिरी ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को लगने जा रहा है। इस दिन शनि अमावस्या भी है। शनिवार के दिन होने के कारण इसे शनैश्चरी अमावस्या के कहा जाएगा। धार्मिक दृष्टि से पूर्णिमा और अमावस्या दोनों ही तिथियां महत्वपूर्ण होती हैं । शनिवार के दिन अमावस्या होने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शनि देव को सूर्य का पुत्र कहा जाता है। यदि सूर्य और शनि दोनों ग्रह एक साथ प्रसन्न हों तो बहुत ही उत्तम रहेगा। इसलिए शनि और सूर्य दोनों के लिए दान करना आवश्यक है। अमावस्या तिथि के दिन दान का विशेष महत्व बताया जाता है। कहते हैं कि शनिदेव से जुड़ी चीजों जैसे छाता, उड़द, उड़द दाल की खिचड़ी, काले तिल, सरसों का तेल आदि चीजों का दान जरूरतमंद या गरीब लोगों को करें। अगर आप व्यापार में वृद्धि या बढ़ोतरी चाहते हैं तो शनि अमावस्या के दिन अपनी दुकान या फैक्ट्री के गेट पर घोड़े की नाल लगाएं। अगर ये नाल काले घोड़े की मिल सकती है तो बहुत ही शुभ माना जाता है। शनिदेव की पीड़ा को शांत करने के लिए शनिवार के दिन पीपल का वृक्ष लगाने का विधान है। धार्मिक दृष्टि से इस दिन पीपल का वृक्ष लगाने से शनि ग्रह के प्रभावों से शांति मिलती है। ग्रंथों में कहा गया है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक पीपल का पेड़ अवश्य लगाना चाहिए।