पिछले 21 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ है। पहले दिन से ही संसद के दोनों सदनों लोकसभा तथा राज्यसभा में सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच टकराव देखने को मिल रहा हंै। अब तक तीनों दिन संसद में भारी हंगामा होता रहा, जिससे सदन की कार्रवाई नहीं चल रही है। विपक्षी सदस्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा सरकार विपक्षी वोटों का अपहरण करने की कोशिश कर रही हैं। विपक्ष इस बार मोदी सरकार को घेरने के लिए पूरी तरह कमर कस चुका है। विपक्षी पाॢटयां पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन ङ्क्षसदूर तथा बिहार के मतदाता सूची एसआईआर पर सदन में बहस कराना चाहती है। विपक्षी पाॢटयां पहले से ही एसआईआर को वापस लेने की मांग कर रही हैं। एसआईआर का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा ङ्क्षकतु न्यायालय ने इस पर स्थगन देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह आधार कार्ड एवं राशन कार्ड को एक दस्तावेज के रूप में शिकार करने पर विचार करे। लेकिन चुनाव आयोग का कहना है कि वह सीमित पहचान के लिए आधार कार्ड, नागरिकता कार्ड एवं राशन कार्ड को स्वीकार कर रही है। सरकार सबसे पहले किसानों की समस्या पर बहस करना चाहती है, ङ्क्षकतु विपक्ष यह मानने को तैयार नहीं है। इसी बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस्तीफे ने विपक्ष को अचानक बड़ा मुद्दा दे दिया है। कुल मिलाकर संसद का वर्तमान सत्र मोदी सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण बन गया है। विपक्षी संसद में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते दिख रहे हैं जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। बिहार विधानसभा में भी कुछ इसी तरह की स्थिति है। वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा है कि सरकार 57 लाख मतदाताओं का अधिकार छीनना चाहती हैं। तनातनी के बीच यह तय हुआ है कि आगामी 28 जुलाई को लोकसभा में ऑपरेशन ङ्क्षसदूर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में बहस होगी। लेकिन इसका जवाब रक्षामंत्री राजनाथ ङ्क्षसह देंगे। लोकसभा के बाद राज्यसभा में इस पर बहस होगी। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बार-बार इस मामले में मध्यस्थता करने के दावे पर कांग्रेस सरकार को घेर रही है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का कहना है कि केंद्र सरकार ऑपरेशन ङ्क्षसदूर के मामले में आम जनता से कुछ छिपा रही है। दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि ऑपरेशन ङ्क्षसदूर पाकिस्तानी सेना के डीजीएमओ के अनुरोध पर बंद किया गया। चुनाव आयोग द्वारा बिहार की मतदाता सूची के लिए शुरू किए गए एसआईआर पहल को लेकर विपक्ष सरकार के साथ आरपार के मूड में है। विपक्ष का मानना है कि अगर एसआईआर संशोधन चलता रहा तो विपक्ष के वोटर का एक बड़ा तबका मतदान से वंचित हो जाएगा। इधर चुनाव आयोग का कहना है कि अगर एसआईआर जारी नहीं रहा तो मतदाता सूची में भारी संख्या में बांग्लादेशी एवं रोङ्क्षहग्या जैसे घुसपैठियों के नाम रह जाएंगे। भाजपा नेताओं का तर्क है कि देश कोई धर्मशाला नहीं है जहां कोई भी विदेशी आकर बस जाए। देखना है कि ऑपरेशन ङ्क्षसदूर के बहस के लिए समय निर्धारित करने से विपक्ष की नाराजगी थोड़ी कम हुई है ङ्क्षकतु विपक्ष बिहार के मतदाता सूची के मामले को नहीं छोड़ेगा। बिहार विधानसभा का चुनाव सत्तापक्ष एवं विपक्ष दोनों के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया। भाजपा हर हालात में वह चुनाव जीतना चाहती है। विपक्ष भी सरकार को खुली छुट देने को तैयार नहीं है। कुल मिलाकर देखा जाए संसद का वर्तमान सत्र सरकार और विपक्ष दोनों के लिए अग्निपरीक्षा के समान है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे।
संसद में विपक्ष का हंगामा
