पूरे देश में घुसपैठियों पर सियासत शुरू हो गई है। असम के बीटीसी अल्पसंख्यक छात्र संघ के नेता मैईनुद्दीन अली ने धमकी दी है कि बांग्लाभाषी मुस्लिम लोग अब जनगणना में असमिया को मातृभाषा नहीं लिखेंगे, जिससे असमिया भाषियों की संख्या घटेगी। इसको लेकर सियासी माहौल गरम हो गया है। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने कहा है कि जनगणना में मातृभाषा के रूप में बांग्ला लिखना यह बताएगा कि राज्य में कितने विदेशी लोग रह रहे हैं। मुख्यमंत्री शर्मा ने मंगलवार को बांग्लादेश से आये अवैध मुस्लिम घुसपैठियों के मामले में पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने ममता सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि टीएमसी बांग्लादेश से आये अवैध मुस्लिम घुसपैठियों को बचाने की कोशिश कर रही है। मालूम हो कि ममता सरकार इस पूरे मामले को अपने राजनीतिक हित के लिए बांग्लाभाषी विरोधी के रूप में दिखा रही है। पश्चिम बंगाल में भी अगले वर्ष चुनाव होने वाले हैं। मुख्यमंत्री शर्मा का कहना था कि असम में हर भाषाई नागरिक जिसमें बांग्लाभाषी लोग भी शामिल हैं, राज्य सरकार की अवैध घुसपैठ के खिलाफ सख्त नीति का समर्थन करते हैं। असम कई दशकों से बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ संघर्ष कर रहा है। शर्मा ने स्पष्ट किया कि टीएमसी ने उनके बयान को बांग्ला विरोधी बताकर घुसपैठियों का बचाव करने की कोशिश की है, ताकि अगले चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सके। यह सबको मालूम है कि ममता सरकार बांग्लादेश से आये घुसपैठियों को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश करती रही है। पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का राज चलता है। प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है। गो-तस्करी से लेकर खाद्य वस्तुओं की तस्करी धड़ल्ले से अंतर्राष्ट्रीय सीमा से होता है। पिछले कुछ वर्षों से मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ङ्क्षहदुओं पर हमले एवं अत्याचार की कई घटनाएं उजागर हुई हैं। इन मामलों में राज्य सरकार की भूमिका संदेह पैदा कर रही है। चुनाव आयोग ने भी मतदाता सूची में संशोधन एवं नए मतदाताओं के शामिल करने के मामले में जिस तरह का दिशा-निर्देश जारी किया है उससे अवैध तरीके से मतदाता सूची में शामिल तथाकथित मतदाताओं के लिए समस्या पैदा हो रही है। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार बिहार के मतदाता सूची में म्यामां, बांग्लादेश एवं नेपाल के लोगों के नाम शामिल हैं। बिहार के कई जिलों में आधार प्राप्त करने वालों का प्रतिशत शत-प्रतिशत से ज्यादा है। मोदी सरकार देश से बांग्लादेशियों को खदेड़ने के लिए देश के विभिन्न भागों में अभियान चला रही है। सैकड़ों बांग्लादेशियों को सीमा से बाहर भेजा गया है, ङ्क्षकतु बांग्लादेश की सरकार इस मामले में सहयोग नहीं कर रही है। देश की विपक्षी पाॢटयां राष्ट्रहित के इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में हैं। असम सरकार भी राज्य में मौजूद अवैध बांग्लादेशियों के शिनाख्त करने का काम कर रही है। राज्य के कई जगहों पर अवैध घुसपैठियों को खदेड़ने का काम कर रही है। कई जगहों पर सरकारी मशीनरियों के सहयोग से अवैध कब्जा हटाने का काम चल रहा है। सरकार नामघरों तथा आध्यात्मिक स्थलों के आसपास घुसपैठियों के कब्जे को हटाने का काम कर रही है। मोहम्मद यूनुस के सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं। वहां रहने वाले ङ्क्षहदुओं के खिलाफ हमले हो रहे हैं तथा उनकी संपत्तियों का नुकसान पहुंचाया जा रहा है। बांग्लादेश में ङ्क्षहदुओं के धाॢमक स्थलों पर हमले हो रहे हैं, जबकि सरकार तमाशबीन बनी हुई है। राष्ट्रहित के मुद्दे पर सरकार के साथ-साथ सभी राजनीतिक पाॢटयों को मिलकर काम करना होगा। महत्वपूर्ण मुद्दों पर देश का एक स्वर होना चाहिए। लेकिन अफसोस की बात यह है कि ऐसा नहीं हो रहा है।
घुसपैठियों पर सियासत
