म्यामां के उग्रवादियों के आधिपत्य वाले इलाके में ड्रोनों और मिसाइलों से हुए एयर स्ट्राइक में अल्फा, एनएससीएन(के) और पीएलए के कई उग्रवादी मारे गए हैं। अल्फा(आई) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारतीय सेना के हमले में अल्फा के स्वयंभू लेफ्टिनेंट जनरल नयन मेधी उर्फ नयन असम, कर्नल अकन गोगोई उर्फ प्रदीप असम तथा स्वयंभू ब्रिगेडियर गणेश लाहन उर्फ गणेश असम मारे गए तथा 19 अन्य घायल हुए हैं। अल्फा ने कहा है कि रविवार को तड़के इजरायली और फ्रांसीसी ड्रोन से हमला किया गया। हालांकि सेना ने इस तरह की घटना के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा ने भी कहा है कि इस घटना में असम पुलिस की कोई भूमिका नहीं है। यह हमला म्यामां से सटे असम और नगालैंड की सीमा के पार हुआ है। इस घटना के बाद असम पुलिस म्यामां से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों में अलर्ट हो गई है। ऐसी खबर है कि इस हमले में अल्फा के कई शिविर ध्वस्त हो गए। सूत्रों के अनुसार ड्रोनों ने उस क्षेत्र में स्थित एक बौद्ध मठ के इमारत को निशाना बनाया जहां चीनी हथियारों को रखा जाता था। चीन बौद्ध मठ के उस भवन में अपना हथियार रखता था जो समय समय पर म्यामां की सेना तथा पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों को आपूॢत करता था। यह सबको मालूम है कि चीन पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों को अवैध रूप से हथियारों की आपूॢत करता था, ताकि भारत में अस्थिरता पैदा हो। ऐसा लगता है कि भारत ने म्यामां की छवि बचाने के लिए इस घटना को सार्वजनिक नहीं किया है। चीन ने जिस तरह ऑपरेशन ङ्क्षसदूर के दौरान पाकिस्तान को भारत की तैयारी के बारे में खुफिया रिपोर्ट उपलब्ध करवाई उससे भारत काफी नाराज है। यही कारण है कि भारत चीन के खिलाफ अब तिब्बत एवं दलाई लामा कार्ड खेलने से परहेज नहीं कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू द्वारा बयान दिया गया है कि अरुणाचल की सीमा चीन से नहीं बल्कि तिब्बत से लगती है। तिब्बत के आध्यात्मिक धर्म गुरु दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन पर कहा था कि उनका उत्तराधिकारी उनकी ही संस्था द्वारा चुना जाएगा, जबकि चीन का कहना है कि तिब्बतियों के नए धर्म गुरु का चुनाव चीनी सरकार की सहमति से होगा। मालूम हो कि म्यामां का एक बहुत बड़ा हिस्सा उग्रवादियों के कब्जे में है, जहां म्यामां की सरकार का शासन नहीं चलता। उसी क्षेत्र में अल्फा के कई शिविर चल रहे हैं। ऑपरेशन ङ्क्षसदूर के बाद भारत चीन के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपना रहा है। इसका साफ संदेश यह है कि अगर चीन कश्मीर एवं आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा तो भारत भी तिब्बत कार्ड खेलने से परहेज नहीं करेगा। जिस अल्फा के खिलाफ  कार्रवाई हुई है वह अल्फा(आई) भारत के साथ मेज की टेबुल पर आने को तैयार नहीं है। अरङ्क्षवद राजखोवा के नेतृत्व वाले अल्फाईयों के घटक का केंद्र एवं असम सरकार के साथ समझौता हो चुका है, लेकिन परेश बरुवा का नेतृत्व वाला अल्फा (आई) इस समझौते से बाहर है। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी समूहों के खिलाफ सीधी कार्रवाई के बाद म्यामां में सक्रिय आतंकी समूहों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है। अगले कुछ दिनों में इस घटना की पूरी जानकारी सामने आएगी। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अभी चीन में हैं। संभवत: भारत पाकिस्तान के साथ-साथ म्यामां के मुद्दे को निश्चित रूप से उठाएगा। चीन पूर्वोत्तर के आतंकी समूहों को सहयोग एवं हथियारों की आपूॢत करता है, ताकि भारत पर दबाव बनाया जा सके। सीमा विवाद के साथ-साथ आतंकवाद का मुद्दा भी चीन में प्रमुखता से उठेगा। अब भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहना पड़ेगा, क्योंकि अल्फा ने बदला लेने की धमकी दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार आतंकवाद के खिलाफ अब जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है जिससे आतंकवाद पर बहुत कुछ अंकुश लगा है।