पूर्वांचल प्रहरी डेस्क संवाददाता गुवाहाटी : देश में रैगिंग हॉटस्पॉट यूनिवर्सिटी की सूची में गुवाहाटी यूनिवर्सिटी का नाम भी शामिल हो गया है। सोसाइटी अगेंस्ट वायलेंस इन एजुकेशन (सेव) ने भारत में रैगिंग की स्थिति-2022-24 शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। इसी रिपोर्ट में राज्य के उच्च शिक्षा के अग्रणी संस्थानों में से एक गुवाहाटी यूनिवर्सिटी का नाम भी शामिल होने से स्वाभाविक रूप से शिक्षा क्षेत्र में प्रतिकूल प्रतिक्रिया हुई। सेव द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 2022 से 2024 के बीच रैगिंग की 15 घटनाओं के  साथ गुवाहाटी विश्वविद्यालय देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में 8वें स्थान पर है। गौरतलब है कि भारत में रैगिंग की स्थिति-2022-24 रिपोर्ट के अनुसार कोलकाता में मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय रैगिंग हॉटस्पॉट की सूची में सबसे ऊपर है। पिछले दो वर्षों में विश्वविद्यालय में रैगिंग की 75 घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर का स्थान आता है। संस्थान में रैगिंग की 74 घटनाएं हो चुकी हैं। इसी तरह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में रैगिंग के 42 मामले, लखनऊ विश्वविद्यालय में 40, उड़ीसा के बढ़मपुर विश्वविद्यालय में 31, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 21 और कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय में 16 मामले दर्ज किए गए हैं। एजेंसी ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी कि राष्ट्रीय रैगिंग निरोधक हेल्पलाइन को देश के 946 कॉलेजों से रैगिंग की 3,156 शिकायतें प्राप्त हुई। आंकड़ों के अनुसार देश में रैगिंग की घटनाओं की सूची में मेडिकल संस्थान सबसे ऊपर हैं। पिछले दो वर्षों में दर्ज रैगिंग के 38.6 प्रतिशत मामले मेडिकल कॉलेजों में हुए। इनमें से 35.60 प्रतिशत शिकायतें गंभीर हैं। इस दौरान देश में रैगिंग की घटनाओं में 51 छात्रों की मौत हो गई। 2024 में 20 छात्रों ने अपने कमरों में आत्महत्या कर ली। लखनऊ विश्वविद्यालय, उड़ीसा में एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, आईआईटी खड़गपुर और एमजीएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले साल रैगिंग की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं। गुवाहाटी विश्वविद्यालय (जीयू) ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देशों के आधार पर सितंबर 2023 में विश्वविद्यालय के तत्कालीन रजिस्ट्रार की अध्यक्षता में एक एंटी-रैगिंग समिति का गठन किया था। अब देखना यह है कि प्रोफेसर ननी गोपाल महंत कुलपति का पदभार संभालने के बाद गुवाहाटी विश्वविद्यालय की इस बदनाम छवि को मिटा पाएंगे या नहीं।