पूर्वांचल प्रहरी डेस्क संवाददाता गुवाहाटी : मुख्यमंत्री डॉ.हिमंत विश्वशर्मा ने बुधवार को भारत सरकार के गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग  की ओर से सोनापुर के मेफेयर रिजॉर्ट में आयोजित पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों के संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में भाग लिया। इस अवसर पर डॉ. शर्मा ने गुवाहाटी को आयोजन स्थल के रूप में चुनने के लिए विभाग की सराहना की और असम में सभी उपस्थित लोगों का स्वागत किया। उन्होंने मान्यता प्राप्त कार्यालय संगठनों को हिंदी के अनुकरणीय उपयोग के लिए बधाई दी और क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देते हुए हिंदी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के विजन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की आजादी की शताब्दी तक हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं का इतना विकास हो जाना चाहिए कि विदेशी भाषाओं की जरूरत ही न रह जाए। भारत की विविधता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने एकता और सांस्कृतिक सामंजस्य को बढ़ावा देने में हिंदी की भूमिका को रेखांकित किया और इस बात पर जोर दिया कि सभ्यता की रक्षा के लिए भाषा का संरक्षण आवश्यक है। ऐतिहासिक संदर्भ पर विचार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि औपनिवेशिक शासन ने पूर्वोत्तर भारत में अंग्रेजी को प्राथमिकता दी, जिससे हिंदी को अपनाने में देरी हुई।  हिमंत ने    कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग अंग्रेजी को अपनाते हैं, लेकिन वे हिंदी को समान मान्यता नहीं देते। हिंदी को क्षेत्रीय भाषाओं के साथ अपनाना चाहिए, क्योंकि यह रोजगार और व्यापार के बड़े अवसरों के दरवाजे खोलता है। उन्होंने कहा कि समय के साथ लोगों ने हिंदी को रोजगार के अवसरों के प्रवेश द्वार के रूप में पहचाना है। उन्होंने कहा कि हिंदी के सीमित उपयोग ने शुरू में उत्तर भारत में क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को सीमित कर दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि बढ़ती स्वीकृति के साथ हिंदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है। डॉ. शर्मा ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माताओं ने हिंदी को सरल और व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आधिकारिक हिंदी को सभी के लिए सुलभ होने के लिए तकनीकी जटिलताओं से मुक्त होना चाहिए, जिससे यह लोगों की भाषा बन सके। उन्होंने व्यापक स्वीकृति और विकास के लिए क्षेत्रीय भाषाओं के तत्वों को एकीकृत करके हिंदी को अधिक उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला। पूर्वोत्तर और भारत के व्यापक पूर्वी क्षेत्र दोनों के हिस्से के रूप में असम की भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी में सम्मेलन आयोजित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने राजभाषा विभाग से केंद्र सरकार के संस्थानों से आगे बढ़कर राज्य सरकार के कार्यालयों तक अपनी पहल का विस्तार करने का आग्रह किया, जिससे राज्य स्तर पर हिंदी के प्रति अधिक प्रशंसा बढ़े। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी को केवल केंद्र सरकार की भाषा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे क्षेत्रीय भाषाओं के साथ सह-अस्तित्व और विकास की भाषा के रूप में देखा जाना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान डॉ. शर्मा ने गृह राज्य मंत्री के साथ पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के प्रतिष्ठित सरकारी कार्यालयों और संगठनों को प्रतिष्ठित राजभाषा पुरस्कार प्रदान किया। कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, असम प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद दिलीप सैकिया, सांसद बिजुली कलिता मेधी,गौहाटी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दिलीप कुमार मेधी, पांडिचेरी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस पद्मप्रिया, सिक्किम के प्रख्यात हिंदी विद्वान प्रोफेसर वीरभद्र कारकीधोली, राजभाषा विभाग की सचिव अंशुली आर्य, राजभाषा विभाग की संयुक्त सचिव डॉ. मीनाक्षी जॉली सहित भारत सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।