रेखा गुप्ता ने शपथग्रहण के साथ ही आज दिल्ली की कमान संभाल ली। 11 दिनों की मंथन के बाद रेखा गुप्ता को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया था। दिल्ली में भाजपा 27 वर्ष बाद सत्ता में लौटी है। बड़ी जीत को देखते हुए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व शपथ ग्रहण समारोह को खास बनाने में लगा हुआ था। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री तथा अन्य नेता शामिल हुए। भाजपा ने रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर एक साथ कई मुद्दों को साधने का प्रयास किया है। रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री होंगी। इससे पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित एवं आतिशि दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। रेखा गुप्ता के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के शीर्ष नेताओं द्वारा मतदाताओं से किए गए वादे को पूरा करने का होगा। भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान यमुना की सफाई, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने, प्रदूषण मुक्त दिल्ली बनाने, प्रत्येक वर्ष 50 हजार नौकरी सृजित करने, महिलाओं को प्रतिमाह ढाई हजार रुपए देने, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, नालों की सफाई, सड़कों की मरम्मत तथा मुफ्त बिजली-पानी देने आदि का वादा किया। इस वादे को पूरा करना रेखा के सामने बड़ी चुनौती होगी। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री को पार्टी के भीतर तथा बाहर दोनों तरफ से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। एक तरफ मजबूत विपक्ष होगा, जो हर कदम पर सरकार के लिए चुनौती पैदा करेगा। ऐसी उम्मीद है कि आतिशि नेता विपक्ष हो सकती हैं। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी को 43 प्रतिशत वोट मिला था। दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के सदस्यों की कुल संख्या 22 है। रेखा गुप्ता पहली बार विधानसभा में चुनकर आई हैं तथा मुख्यमंत्री बन गईं। ऐसी स्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के तरफ से भीतरघात की संभावना बनी रहेगी। पार्टी ने महिला एवं युवा मतदाताओं को ध्यान में रखकर रेखा गुप्ता को दिल्ली की बागडोर सौंपी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले आठ प्रतिशत ज्यादा महिला मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया है। दूसरी बात यह है कि भाजपा का जिन राज्यों में सरकार है वहां किसी भी राज्य में कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं थी। भाजपा ने रेखा गुप्ता को मौका देकर महिलाओं के बीच एक सकारात्मक संकेत देने का प्रयास किया है। दिल्ली भाजपा के कद्दावर नेता प्रवेश वर्मा को उप मुख्यमंत्री का पद देकर जाट मतदाताओं को संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है। प्रवेश वर्मा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पराजित कर आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका दिया है। इसी तरह विजेंद्र गुप्ता जैसे कद्दावर नेता को विधानसभा अध्यक्ष बनाने का निर्णय लेकर वैश्य मतदाताओं को आकर्षित करने का फैसला लिया गया है। कुल मिलाकर मंत्रिमंडल के गठन में जातीय एवं क्षेत्रीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है। इस वर्ष बिहार में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा ने रेखा गुप्ता पर दाव लगाकर बिहार के महिला मतदाताओं को भी अपनी ओर खींचने का प्रयास किया है। रेखा गुप्ता ने कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही यह कहा है कि दिल्ली की पूर्व सरकार को एक-एक पैसे का हिसाब देना होगा। मुख्यमंत्री की इस घोषणा से अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केंद्र सरकार ने यमुना की सफाई के लिए सरकार गठन से पहले ही पहल शुरू कर दी है। रेखा गुप्ता का राजनीतिक यात्रा दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के महासचिव बनने के साथ ही शुरू हुई थी। वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। उनके समक्ष विकसित दिल्ली बनाने का सपना है। कुल मिलाकर उनके सिर पर कांटों का ताज है। उनकी अग्नि परीक्षा अगले कुछ महीने में होगी। चुनावी वादे को पूरा करना इतना आसान नहीं है। अगर वे अपनी परीक्षा में सफल नहीं हुईं तो भाजपा के लिए भी आगे का रास्ता कठिन हो जाएगा।
रेखा गुप्ता की अग्नि परीक्षा
