हड्डियों से संबंधित समस्याएं आपके लिए कई प्रकार की जटिलताओं को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। हड्डियों की थोड़ी सी भी चोट या दिक्कत आपके लिए दैनिक जीवन के कामकाज को कठिन बनाने वाली हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, गड़बड़ होती लाइफस्टाइल ने कई प्रकार की समस्याओं को बढ़ा दिया है, आर्थराइटिस भी उनमें से एक है। आर्थराइटिस को गठिया भी कहा जाता है। इस समस्या के कारण जोड़ों में सूजन, दर्द, अकड़न की दिक्कत होने लगती है। यह शरीर के किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है, लेकिन हाथों, घुटनों, कूल्हों और पैरों में इसका जोखिम सबसे आम है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वैसे तो आर्थराइटिस की दिक्कत किसी को भी हो सकती है। पुरुष हो या महिला या फिर बच्चे सभी इस समस्या का शिकार देखे जा रहे हैं। हालांकि कई रिपोर्ट्स बताते हैं कि महिलाओं में आर्थराइटिस (गठिया) का खतरा पुरुषों की तुलना में अधिक होता है। इसके पीछे कई जैविक, हार्मोनल और जीवनशैली संबंधी कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। अब बड़ा सवाल ये है कि महिलाओं में आर्थराइटिस का खतरा अधिक क्यों होता है? इस बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि कई स्थितियां हैं जो आपमें गठिया की दिक्कतों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। आमतौर पर महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद ये समस्या बढ़ जाती है। रजोनिवृत्ति यानी कि मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी होने लगती है, ये हार्मोन हड्डियों को मजबूती बनाए रखने में मदद करता है। इस वजह से हड्डियां और जोड़ों की सेहत प्रभावित होने लगती है। इसके अलावा कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाओं का इम्यून सिस्टम अधिक सक्रिय होता है, जिससे ऑटोइम्यून डिजीज (रूमेटॉइड आर्थराइटिस) होने की आशंका बढ़ जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के हड्डियों का घनत्व कम होता है, जिससे वे ऑस्टियोआर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। डॉक्टर बताते हैं, महिलाओं में आर्थराइटिस के जोखिमों को बढ़ाने के लिए कई और कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के हड्डियों और जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है इसके अलावा कैल्शियम और विटामिन डी की कमी हड्डियों को कमजोर कर सकती है।