चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति में इजाफा कर रहा है। चीन की नौसेना दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन गई है। यही कारण है कि चीन प्रशांत महासागर से लेकर हिंद महासागर तक अपनी गतिविधियों में तेजी से वृद्धि कर रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी से उसके पड़ोसी देश परेशान हैं। अब चीन भारत के लिए भी चुनौती बन चुका है। वर्तमान चुनौती को देखते हुए भारत ने भी अपनी नौसेना को मजबूत करने की पहल शुरू कर दी है। इसके लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने एक परियोजना तैयार की है। भारत के पास अभी दो एयरक्राफ्ट कार्यरत हैं। आईएनएस विक्रमादित्य तथा आईएनएस विक्रांत ऑपरेशन में हैं। आईएनएस विक्रांत पूरी तरह स्वदेशी है। भारत ने अपने तीसरे कैरियर के निर्माण का काम शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को मुंबई स्थित नौसेना के डॉकयार्ड में निॢमत अपने तीन युद्धपोतों को मैदान में उतार दिया है। देश में पहली बार एक साथ डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेड एवं पनडुब्बी को एक साथ महासागर में उतार दिया है। पिछले 10 वर्षों के दौरान मोदी सरकार ने नौसेना को मजबूत करने के लिए 33 जहाजों तथा पनडुब्बियों को जलक्षेत्र में उतार दिया है। मुंबई में नौसैना ने आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि तथा आईएनएस बाघशीर को एक्शन में ला दिया है। चीन तेजी के साथ भारत को घेरने के लिए अपने नौसेना का दायरा हिंद महासागर तक बढ़ा रहा है। चीन के जासूसी जहाज श्रीलंका में लंगर डालकर समय-समय पर भारत की जासूसी करते रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन तीनों युद्धपोतों को हरी झंडी दिखाने के बाद कहा कि भारत अब प्रमुख समुद्र शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि भारत खुले, सुरक्षित, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति प्रदिबद्ध है। तीनों सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत कई कार्यक्रम चल रहे हैं। भारत ने तीनों सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 5,000 से ज्यादा सैन्य साजोसामान के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका निर्माण अब देश में ही होगा। देश में अब रक्षा उत्पादन 1.25 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। भारत दुनिया के सौ से ज्यादा देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध से सीख लेते हुए भारत ने रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का साहसिक निर्णय लिया है। क्षेत्रीय जलक्षेत्र की रक्षा, नौवहन की स्वतंत्रता, व्यापार आपूॢत लाइन और समुद्री मार्गों को सुरक्षित करना नौसेना की प्राथमिकता होगी। दुनिया में जिस तरह जलमार्गों पर चुनौती बढ़ रही है उसको देखते हुए नौसेना का मजबूत होना जरूरी है। हिंद महासागर में भारत एक जिम्मेदार देश के रूप में उभर कर सामने आया है। हिंद महासागर तथा लालसागर में हूती विद्रोहियों के आक्रमण से कई व्यापारिक जहाजों को भारतीय नौसेना ने बचाया है। अपने देश के जहाजों के साथ-साथ दुनिया के दूसरे देशों के जहाजों को भी बचाया गया है। भारत के इस कदम से दुनिया में साख बढ़ी है। समुद्र यान परियोजना के तहत अब भारतीय वैज्ञानिकों की पहुंच 60 हजार मीटर गहराई तक पहुंच गई है। यह उपलब्धि दुनिया के चुनिंदा देशों के पास ही उपलब्ध है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी भारत तेजी से काम कर रहा है। रक्षा के क्षेत्र में भी इसरो के वैज्ञानिकों ने भी भारत को अमरीका, रूस और चीन के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कई ऐसे मिसाइल को विकसित किया है जो नौसेना के लिए युद्ध की स्थिति में तुरूप का पत्ता साबिता होगा। अगर भारत को चीन के मुकाबले खड़ा होना है तो उसे अपनी नौसेना को ज्यादा ताकतवर बनाना होगा।
नौसेना की बढ़ती ताकत
