दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा होने के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा, जबकि मतों की गिनती तीन दिन बाद 8 फरवरी को होगी। मुख्य चुनाव आयोग राजीव कुमार ने चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए कहा कि इस चुनाव के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था किया गया है। इस चुनाव में कुल 1.55 करोड़ मतदाता 13,033 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। दिल्ली में 20-21 उम्र के कुल 28.89 लाख जवान मतदाता हैं, जबकि 2.08 लाख मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चुनाव की घोषणा के साथ ही ईवीएम का मुद्दा भी गरमाने लगा है। मुख्य चुनाव आयोग ने ईवीएम से छेड़छाड़ के विपक्षी दलों के दावे को खारिज करते हुए कहा कि अदालतों ने 42 बार फैसला सुनाया है कि चुनावी मशीन हैक नहीं की जा सकती। उन्होंने जनता को झूठे प्रचार से बचने की सलाह दी। इस बार का दिल्ली का चुनाव राजनीतिक प्रतिष्ठा का मुद्दा बना हुआ है। इसमें आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा। सभी पाॢटयों ने चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जैसे-जैसे चुनाव प्रचार आगे बढ़ेगा आरोप-प्रत्यारोप तीखा होता जाएगा। वर्ष 2013 में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सबसी बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। कांग्रेस के साथ मिलकर आप सरकार बनाई लेकिन यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। उसके बाद वर्ष 2015 एवं 2020 में आप को पूर्ण बहुमत मिला। आप और कांग्रेस के बीच वर्ष 2013 में हुए गठबंधन के कारण कांग्रेस की छवि पर झटका लगा। इंडिया गठबंधन में एक साथ रहने के बावजूद दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप और कांग्रेस एक-दूसरे खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं। इसका कारण यह है कि हरियाणा एवं महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार से आप के नेता गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं। दोनों राज्य में हार के बाद इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई है। इसका नतीजा यह हुआ है कि समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी हार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए उसे बैकफुट पर ढकलना चाहती है। कांग्रेस और आप में समझौता नहीं होने इसका लाभ भाजपा को निश्चित रूप से मिलेगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मनीलॉॄडग और शराब घोटाला का मुद्दा प्रमुखता से छाया रहेगा। शराब घोटाले मामले में ईडी ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप नेता संजय सिंह तथा पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन गिरफ्तार हो चुके थे। अभी सभी लोग जमानत पर हैं। भाजपा तथा कांग्रेस इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने शासन में मुख्यमंत्री आवास को शीश महल की तरह भारी भरकम खर्च करके बनाया था जो दिल्ली की चुनाव में बड़ा मुद्दा बना हुआ है। अगर केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनने से पहले साधारण घर में रहने तथा महंगी गाड़ी का व्यवहार नहीं करने की घोषणा न की होती तो यह बवाल ही नहीं होता। आप तथा कांग्रेस महिला सम्मान योजना में दोगुना से ज्यादा बढ़ोतरी करने की घोषणा करके मतदाताओं को लुभाने का भरसक प्रयास किया है। वर्तमान में महिलाओं को 1000 रुपए प्रतिमाह मिलता है जिसे बढ़ाकर आम आदमी पार्टी 2100 रुपए तथा कांग्रेस 2500 रुपए करने का वादा किया है। अभी भाजपा की तरफ से घोषणा होना बाकी है। जहां आम आदमी पार्टी दिल्ली को अच्छा शासन देने तथा लोक-लुभावन वादों के द्वारा मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहा है वहीं भाजपा के नेता विकसित दिल्ली का नारा देकर अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हुए हैं। मतदाता सूची को लेकर भाजपा और आप के बीच संग्राम छिड़ा हुआ हैं। मतदाता सूची में 10 प्रतिशत लोगों का नाम जुड़ने तथा पांच प्रतिशत मतदाताओं का नाम हटाने का मुद्दा दिल्ली में छाया हुआ है। दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म हो रहा है। ऐसी स्थिति में इससे पहले ही चुनावी प्रक्रिया पूरी होनी है। जहां चुनाव आयोग को निष्पक्ष चुनाव करने की चुनौती है वहीं राजनीतिक पार्टियों को अपनी साख बचानी की।
दिल्ली विस चुनाव का शंखनाद
