बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यार्पण के लिए भारत सरकार को आधिकारिक रूप से अनुरोध किया है। शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में 223 मामले दर्ज हैं जिसमें 194 मामले हत्या से संबंधित है। आरक्षण के खिलाफ हिंसक आंदोलन के बाद शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण ले रखी है। दोनों देशों के बीच वर्ष 2013 में गंभीर अपराधों में शामिल अपराधियों के प्रत्यार्पण के लिए समझौता हुआ था। लेकिन उसमें प्रावधान है कि राजनैतिक प्रकृृति के अपराधों के लिए यह समझौता लागू नहीं होगा। इसी के तहत भारत ने हसीना को बांग्लादेश को सौंपने का इनकार कर दिया। शेख हसीना के जान को बांग्लादेश में खतरा है। शेख हसीना के शासन में भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध काफी मधुर रहे। हसीना ने भारत विरोधी तत्व और जेहादियों के खिलाफ कड़ी कारर्वाई की थी। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार के शासन में हिंदु समुदायों पर हमले बढ़ गए हैं। भारत तथा दुनिया के दूसरे देशों की अपील के बावजूद कट्टरपंथियों एवं जेहादियों का ताडंव रोकने का नाम नहीं ले रहा है। अभी बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों का परोक्ष रूप शासन चल रहा है। पाकिस्तान इस पूरे मामले में शामिल हैं। पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई भारत विरोधी अभियान में शामिल है। बांग्लादेश की न्यायपालिका जेहादियों के आगे मूकदर्शक बनी हुई है। हिंदुओं पर रहे हमले को रोकने के लिए यूनुस सरकार कुछ नहीं कर रही है। अमरीका के राष्ट्रपरि जो बाइडेन के सह पर ही हसीना सरकार का तख्ता पलट हुआ है। उम्मीद है कि डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद यूनुस सरकार पर दबाव बढ़ेगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर अभी अमरीका की यात्रा पर है। उम्मीद है कि वे अमरीकी अधिकारियों के समक्ष बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे मुद्दों को प्रमुखता से उठाएंगे। भारत की सीमा के पास अलकायदा, जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथियों का सक्रिय होना भारत के लिए बड़े खतरे का संकेत है। हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों ने असम और त्रिपुरा से जेहादियों को गिरफ्तार किया है, जिसका नेटवर्क बांग्लादेश से जुड़ा हुआ है। बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों ने खुलेआम भारत को धमकी देना शुरू कर दिया है। यह काम निश्चित रूप से पाकिस्तान के इशारे पर हो रहा है। बांग्लादेश खाद्य सामग्री से लेकर बिजली पानी तथा अन्य जरूरी चीजों के लिए भारत पर निर्भर है। भारत बांग्लादेश को रियायत दर पर इन चीजों को उपलब्ध करवाता है। बांग्लादेश का जन्म भारत के कारण हुआ है। भारतीय सेना ने वर्ष 1971 में मुक्ति वाहिनी के रूप में बांग्लादेश को समर्थन देकर पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त कराया था। ऐसे देश भारत के साथ बांग्लादेश का दुश्मनी लेना पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान है। भारत ने खाद्य सामग्री तथा सब्जियों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर बांग्लादेश को सबक देना का प्रयास किया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि बांग्लादेश में आवश्यक खाद्य साम्रगियों की कीमत में बेहताशा वृद्धि हुई है। भारत ने बिजली की आपूॢत के लिए बकाया राशि के भुगतान के लिए भी अल्टीमेटम दे रखा है। अगर बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति बंद हुई तो उद्योग धंधों पर विपरीत असर पड़ेगा। कट्टरपंथियों द्वारा सरेआम उत्पात करने के कारण बांग्लादेश में उद्योग धंधों के लिए वातावरण नहीं रह गया है। जिस बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत दिख रही थी, आंदोलन के बाद उसमें काफी गिरावट आई है। भारत सरकार को बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं के जान माल की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाना चाहिए। सीमा पर कड़ी चौकसी की जरूरत है ताकि बांग्लादेश की ओर से होने वाले घुसपैठ को रोका जा सके। बांग्लादेश में भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सजिश हो रही है जिसके खिलाफ चौकन्ना रहना होगा।
बांग्लादेश में हसीना को खतरा
