उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के पूरनपुर थाना क्षेत्र में उत्तर प्रदेश एवं पंजाब पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में खालिस्तान ङ्क्षजदाबाद फोर्स के तीन आतंकी वीरेन्द्र ङ्क्षसह, गुरङ्क्षवदर सिंह तथा जसनप्रीत ङ्क्षसह मारे गए। दोनों राज्यों की पुलिस ने खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई की थी। इन तीनों आतंकियों पर पिछले 18 दिसंबर को पंजाब के कलानौर थाने पर ग्रेनेड से हमला करने का आरोप लगा था। गिरफ्तारी से बचने के लिए ये तीनों आतंकी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के पूरनपुर में दो दिन पहले आए हुए थे। पूरनपुर सिख बहुल इलाका है जिससे आतंकियों को छिपने के लिए सुरक्षित जगह मिल गया। उत्तर प्रदेश का पीलीभीत, शाहजहांपुर तथा लखीमपुर खीरी इलाका नेपाल सीमा के पास स्थित है। आतंकियों के छिपने के लिए सुरक्षित जगह है। यहां से आतंकी जंगल एवं बीहड़ रास्ते का उपयोग कर नेपाल की सीमा में घुस सकते हैं। शायद ये तीनों आतंकी नेपाल में फरार होने के लिए यहां पहुंचे थे। उत्तर प्रदेश का पीलीभीत इलाका 1991 से ही आतंकियों का गढ़ रहा है। वर्ष 1991 में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में यहां 10 आतंकी तीन अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए थे। ये सभी आतंकी खालिस्तान लिबरेशन आर्मी के कैडर थे। इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को सोचने पर बाध्य कर दिया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस घटना के बाद सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत ङ्क्षसह पन्नू हरकत में आ गया है। पन्नू ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को धमकी दी है। पन्नू ने इस घटना का बदला आगामी महाकुंभ के दौरान लेने की बात कही है। भारत में चल रहे आतंकी गतिविधियों को पन्नू सीधे समर्थन दे रहा है, जबकि अमरीका और कनाडा की सरकार पन्नू को बचाने में लगी है। अमरीका की एक अदालत ने पन्नू मामले में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को समन भी जारी कर दिया है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो आतंकी हरदीप ङ्क्षसह निज्जर की हत्या में भारत के एजेंसियों के शामिल होने का आरोप लगा चुके हैं, जबकि उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं है। अमरीका की सरकार एक तरफ भारत के साथ दोस्ती की बात करती है, जबकि दूसरी तरफ भारत को तोडऩे में लगे खालिस्तानियों को समर्थन देती रहती है। पिछले किसान आंदोलन के दौरान आतंकियों के सक्रिय होने की खबर मिली थी। अमरीका तथा पश्चिमी देश खालिस्तान के बहाने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करते रहे हैं। भारत सरकार को ऐसी शक्तियों को करारा जवाब देने से परहेज नहीं करनी चाहिए। पश्चिमी शक्तियां अपनी दोहरी नीति के तहत भारत को कमजोर करने की कोशिश करती रही है। हाल के वर्षों में जिस तरह भारत के खिलाफ साजिश रचने में शामिल कई बड़े आतंकियों का खात्मा हुआ है, यह देश के लिए शुभ संकेत है। पाकिस्तान जैसे कुछ देश भारत में गड़बड़ी फैलाने के लिए षड्यंत्र रचते रहते हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार को खालिस्तानियों की बढ़ती गतिविधियों पर अंकुश के लिए कड़ा कदम उठाना चाहिए। पीलीभीत की घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं जिसका जवाब आना बाकी है।