बाल विवाह एक ऐसी सामाजिक कुरीति है जिसका प्रभाव माता एवं उसकी संतान दोनों पर पड़ता है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने बाल विवाह के खिलाफ एक व्यापक अभियान छेड़ रखा है। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2026 तक असम को बाल विवाह से मुक्त करने की पहले ही घोषणा कर रखी है। राज्य सरकार ने इसको रोकने के लिए कानून भी बनाये हैं। बाल विवाह के खिलाफ अभियान के तीसरे चरण में असम पुलिस ने राज्य के विभिन्न भागों में व्यापक अभियान चलाकर 431 आरोपियों को गिरफ्तार किया है तथा उनके खिलाफ 345 मामले दर्ज किये गए हैं। असम पुलिस के सीआईडी विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुन्ना प्रसाद गुप्ता ने बताया कि गिरफ्तार किये गए लोगों में पुरुष एवं परिवार के सदस्यों के अलावा दो काजी भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा धुबड़ी जिले से 68 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है तथा उनके खिलाफ 59 मामले दर्ज किये गए हैं। इसी तरह बरपेटा से 52, दक्षिण सालमारा-मानकाचर से 42, कामरूप एवं श्रीभूमि से 22-22, हाइलाकांदी एवं दरंग से 31-31, धेमाजी से 17, मोरीगांव से 16, होजाई, ग्वालपाड़ा एवं कछार से 15-15 तथा नगांव से 14 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इससे पहले फरवरी 2023 में इस सामाजिक बुराई के खिलाफ अभियान चलाया गया था, जिसमें कुल 3425 लोगों को गिरफ्तार किया गया था तथा 4387 मामले दर्ज किये गए थे। इसके बाद अक्तूबर 2023 में भी दूसरा अभियान चला था जिसमें कुल 913 लोग गिरफ्तार हुए थे तथा 682 मामले दर्ज किये गए थे। तीनों अभियानों को मिलाकर अभी तक 5842 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है तथा 5348 मामले दर्ज किये गए हैं। बाल विवाह पर अंकुश से प्रसूति मृत्यु दर में काफी कमी आई है। असम में वर्ष 2020-21 में मातृ मृत्यु दर 984 थी जो वर्ष 2023-24 में घटकर 372 रह गई। इसी तरह वर्ष 2020-21 में शिशु मृत्यु दर 9472 थी जो वर्ष 2023-24 में घटकर 4700 रह गई। जो यह दर्शाता है कि बाल विवाह पर रोक लगाना कितना आवश्यक है। प्रशासन द्वारा इसके खिलाफ सख्त कदम उठाना लोगों के हित में है। इस बार के अभियान में जोरहाट, गुवाहाटी, विश्वनाथ, डिमा हसाओ एवं हामरेंग में बाल विवाह का कोई मामला तीसरे चरण में सामने नहीं आया है। विशेष अभियान के अलावे कई मौकों पर पुलिस ने 189 लोगों को गिरफ्तार किया था। विशेष अभियान से पहले मुख्यमंत्री ने इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने के संकेत दिये थे। सीआईडी का कहना है कि पिछले दो अभियानों के दौरान दर्ज किये गए मामलों में पुलिस ने 95.2 प्रतिशत मामलों का आरोप-पत्र कोर्ट में दायर कर दिया है। इसी तरह पुलिस तीसरे चरण के मामले में भी तेजी दिखायेगी। पूरे आंकड़े पर नजर डालने से पता चलता है कि अल्पसंख्यक बहुल इलाके में बाल विवाह की ज्यादा घटनाएं हुई हैं। इस सामाजिक कुरीति पर लगाम के लिए लोगों को जागरूक भी होना पड़ेगा। सरकार के साथ-साथ समाज को भी आगे आना होगा। अगर बाल विवाह पर अंकुश लगता है तो इससे महिला सशक्तिकरण के अभियान को बल मिलेगा।