रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन द्वारा मंगलवार को संशोधित परमाणु नीति पर हस्ताक्षर करने के साथ ही परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ गया है। रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से ही युद्ध चल रहा है। इस युद्ध के 1000 दिन पूरे हो गए हैं, लेकिन युद्ध रुकने के बजाय और तेज हो गया है। रूस की नई परमाणु नीति के तहत अगर कोई देश किसी परमाणु संपन्न देश की मदद से रूस पर हमला करता है तो इसे संयुक्त हमला माना जाएगा। उस स्थिति में रूस की सेना परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकेगी। रूस की पूर्व की परमाणु नीति के तहत सिर्फ रूस या उसके सहयोगियों पर बैलेस्टिक मिसाइल के हमले की विश्वसनीय सूचना के बाद रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता था, लेकिन नई नीति के तहत बैलेस्टिक मिसाइल के साथ ही क्रूज मिसाइल, बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले तथा अन्य उड़ने वाले वाहनों से हमले की स्थिति में भी परमाणु हथियार के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। रूस का यह फैसला अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निर्णय का जवाब माना जा रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति ने अब यूक्रेनी सेना को अमरीका की लंबी दूरी की मिसाइलों से रूस पर हमला करने की पूरी छूट दे दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रूस के सैन्य अड्डे, सैनिक प्रतिष्ठानों एवं अन्य महत्वपूर्ण ठिकाने यूक्रेन के निशाने पर आ गए हैं। इससे रूस-यूक्रेन युद्ध की पूरी तस्वीर बदल सकती है। हालांकि पहले भी यूक्रेन को अमरीका की लंबी दूरी की मिसाइलों के उपयोग की अनुमति थी, किंतु अब यूक्रेनी सेना रूस के काफी भीतर भी इसका इस्तेमाल कर सकेगी। ऐसा लगता है कि बाइडेन अपने बचे दो महीने के कार्यकाल के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध को भड़का देना चाहते हैं, ताकि नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को काफी परेशानी हो। यह सबको मालूम है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में बाइडेन की नीति ट्रंप से बिल्कुल अलग है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ ट्रंप का अच्छा संबंध है। ऐसी खबर है कि ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर युद्ध को खत्म करने के इच्छुक हैं। लेकिन जो बाइडेन युद्ध बंद होना देखना नहीं चाहते। संयुक्त राष्ट्र संघ के राजनीतिक एवं शांति निर्माण मामले के प्रमुख ने इस युद्ध के 1000 दिन पूरे होने पर इसको बंद कराने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं एकजुट प्रयास से यह संभव हो पाएगा। रूस-यूक्रेन युद्ध में लाखों नागरिक मारे जा चुके हैं, जिसमें हजारों बच्चे शामिल हैं। इस युद्ध में 580 मेडिकल केंद्र तथा 1358 शैक्षणिक केंद्रों का विनाश हो चुका है। इस सप्ताह रूस ने यूक्रेन पर 120 मिसाइलों तथा 90 ड्रोनों से हमला किया, जिसमें काफी तवाही हुई है। रूस यूक्रेन के परमाणु संस्थानों को निशाना बना सकता है। रूसी हमले में यूक्रेन पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। इसी तरह यूक्रेन के हमले में रूस का भी बड़ा नुकसान हुआ है। दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के खिलाफ कोई भी कदम उठाने को तैयार है। पश्चिमी देश अमरीका के साथ मिलकर यूक्रेन को बर्बाद करने में लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस पूरे मामले में मध्यस्थता कर शांति लाने का प्रयास कर रहे हैं। अमरीका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद ऐसी आशा बंधी है कि यूक्रेन में शांति आ सकती है। ट्रंप ने अपने मंत्रिमंडल में जिन चेहरों को शामिल किया है, उसको देखकर ऐसा लगता है कि ट्रंप भारत से बेहतर संबंध बनाने तथा चीन को उसकी औकात बताने के लिए पूरी तरह तैयार है। ट्रंप यूक्रेन को युद्ध के लिए दिये जा रहे हथियार एवं आर्थिक सहायता को कम कर सकते हैं या बंद कर सकते हैं। पश्चिमी देशों की सहायता के बिना यूक्रेन को युद्ध जारी रखना मुश्किल होगा। भारत युद्ध में सीधे रूस की कोई मदद नहीं कर रहा है, लेकिन रूस के साथ तेल के आयात सहित आपसी व्यापार को बढ़ावा देकर रूस को मदद कर रहा है। अब रूस-यूक्रेन युद्ध निर्णायक दौर में पहुंच चुका है, जहां केवल बर्बादी ही दिखाई दे रही है। इस युद्ध में बड़ी संख्या में आम नागरिक तथा बच्चे मारे जा रहे हैं जो मानवता के लिए शुभ संकेत नहीं है। रूस-यूक्रेन युद्ध तत्काल बंद होना चाहिए, क्योंकि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। भारत ने युद्ध को रुकवाने के लिए हरसंभव प्रयास किया है, जो स्वागत योग्य है।
परमाणु युद्ध का खतरा
