नई दिल्ली : डीजल और पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में कटौती से राजकोष पर 45,000 करोड़ रुपए का असर पड़ेगा और इससे केंद्र का राजकोषीय घाटा 0.3 प्रतिशत बढ़ जाएगा। गुरुवार को जारी एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट में यह बात कही गई। जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने यह रिपोर्ट जारी की है। कंपनी के अर्थशास्ति्रयों ने इस रिपोर्ट में कहा है कि कुल खपत के हिसाब से, इस आश्चर्यजनक कदम से पूरे वित्त वर्ष के लिए राजकोष पर एक लाख करोड़ रुपए का असर पड़ेगा, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.45 प्रतिशत होगा। चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों के लिए, राजकोष पर 45,000 करोड़ रुपए का असर पड़ेगा, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ जाएगा। अर्थशास्ति्रयों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उम्मीद है राजकोषीय घाटा 6.5 प्रतिशत पर आ जाएगा, जबकि पहले का अनुमान 6.2 प्रतिशत था और यह रेखांकित किया कि यह अभी भी 6.8 प्रतिशत के लक्ष्य से कम रहेगा। केंद्र सरकार ने बुधवार को दीपावली की पूर्व संध्या पर पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 5 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की थी। पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती को लेकर सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक किसानों ने अपनी कड़ी मेहनत से, लॉकडाउन के दौरान भी आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखा और डीजल पर उत्पाद शुल्क में भारी कमी से उन्हें आगामी रबी सीजन के दौरान प्रोत्साहन मिलेगा। हाल के महीनों में, कच्चे तेल की कीमतों में वैश्विक स्तर पर उछाल देखा गया है। इस वजह से हाल के हफ्तों में पेट्रोल और डीजल की घरेलू कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे मुद्रास्फीति संबंधी दबाव बढ़ गया है। केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल डीजल के दामों में कटौती के बाद कई राज्यों ने भी वैट में कटौती करते हुए आम जनता को बड़ी राहत दी है। मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, कर्नाटक, सिक्किम, मणिपुर समेत और भी कई राज्यों ने पेट्रोल और डीजल के वैट में कटौती की है।