भारतीय सनातन परम्परा में हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार सभी तिथियों का किसी न किसी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना से संबंध है। तिथि विशेष पर पूजा-अर्चना करके सर्व मनोकामना की पूर्ति की जाती है। हर महीने में दो बार एकादशी पड़ती है, जिससे पूरे 1 वर्ष में 24 या 25 एकादशी आती हैं। प्रत्येक माह के दोनों पक्ष की एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि की अपनी खास पहचान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मोहिनी एकादशी के दिन भक्त अपने पिछले पापों का शमन एवं सुख-सौभाग्य में अभिवृद्धि के लिए यह व्रत करते हैं। यह वही व्रत है जिसे राजा युधिष्ठिर और भगवान राम ने रखा था।
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि मोहिनी एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस बार वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि 18 मई, शनिवार को दिन में 11 बजकर 23 मिनट पर लगेगी जो कि 19 मई, रविवार को दिन में 1 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। हस्त नक्षत्र 18 मई, शनिवार को अद्र्धरात्रि 12 बजकर 23 मिनट से 19 मई, रविवार को अद्र्धरात्रि के पश्चात 3 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। उदया तिथि के फलस्वरूप एकादशी तिथि का मान 19 मई, रविवार को होने से यह व्रत आज ही रखा जाएगा।
कैसे करें पूजा—ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर गंगा-स्नानादि करना चाहिए। गंगा-स्नान यदि संभव न हो तो घर पर ही स्वच्छ जल से स्नान करके स्वच्छ व धारण करना चाहिए। अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् कामदा एकादशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
क्या न करें : संपूर्ण दिन व्रत उपवास रखकर जल आदि कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। विशेष परिस्थितियों में दूध या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है। आज के दिन संपूर्ण दिन निराहार रहना चाहिए, चावल तथा अन्न ग्रहण करने का निषेध है। भगवान् श्रीविष्णु की विशेष अनुकम्पा-प्राप्ति एवं उनकी प्रसन्नता के लिए भगवान् श्रीविष्णु जी के मन्त्र 'ॐ नमो नारायण' या 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का नियमित रूप से अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। मन-वचन कर्म से पूर्णरूपेण शुचिता बरतते हुए यह व्रत करना विशेष फलदाई रहता है। आज के दिन ब्राह्मण को यथा सामथ्र्य दक्षिणा के साथ दान करके लाभ उठाना चाहिए। जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य व सौभाग्य में अभिवृद्धि भी होती है। मन-वचन कर्म से पूर्णरूपेण शुचिता बरतते हुए यह व्रत करना विशेष फलदाई रहता है। मो. : 09335414722