सुबह उदय होते सूर्य को जल देने से किसी भी व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी चमक जाता है। लेकिन सूर्य को अघ्र्य देने का सही तरीका आपको जरुर पता होना चाहिए नहीं तो कोई फायदा नहीं होगा। भविष्य पुराण के अनुसार रोज सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान मिलता है। ब्रह्म मुहूर्त से सुबह 7 बजे तक सूर्य को अघ्र्य देना फायदेमंद माना जाता है। आप सूर्य उदय होने के दो घंटे तक सूर्य देव को जल चढ़ा सकते हैं। उसके बाद आपको सूर्यदेव पर जल नही चढ़ाना चाहिए। 

सूर्य को अघ्र्य देने की सही विधि

- सुबह सूर्य उदय से पहले स्नान करें और तांबे के साफ लौटे को जल से भर लें लौटे में भरे हुए इस जल में लाल फूल और अक्षत डालकर पूजा करें।

- इस जल पात्र को लेकर सूर्य की तरफ मुंह करके खड़े हो जाएं और जल के लोटे को सिर की तरफ से छाती तक लाएं।

- जब आप जल चढ़ाएं तो लोटा आपकी छाती के बीच में होना चाहिए।

- सूर्य को जल देते समय 'ओम् आदित्य नम:'मंत्र या 'ओम् घृणि सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए।

- अब धीरे-धीरे जल की धार छोड़ें ध्यान रखें कि जो जल भगवान को अर्पित किया जा रहा है, उसकी छींटें आपके पैरों पर नहीं पडऩी चाहिए। इससे पाप लगता है। इसलिए जल डालते वक्त सावधानी बरतें।

- जल चढ़ाते समय अपनी नजर लोटे के उभरे हुए किनारे पर रखें और इसमें सूर्य के बिंदू रूपी प्रतिबिंब को देखने का प्रयास करें। इससे मानसिक सुकून मिलता है और नेत्रज्योति बढ़ती है। तो आप इन इन बातों को ध्यान में रखते हुए अगर सूर्य को अघ्र्य अर्पण करते हैं तो इससे आपकी कुंडली में भी सूर्य की स्थिति और मजबूत होती है। ज्योतिष में सूर्य ग्रह को ऊर्जा, आत्मा और पिता कारक माना जाता है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह शुभ स्थिति में विद्यमान हो तो सुख-समृद्धि तो मिलती ही है साथ ही जीवन में ऊंचे मुकाम भी हासिल होते हैं।